देश में अप्रैल और मई का महीना खतरनाक खौफ के सायों में बीता. पूरा अप्रैल और आधा मई के महीने देश में मौत का तांडव चलता रहा. अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही थी और लोगों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन तक नहीं थी. अब एक आकलन से पता चला है कि चार राज्यों को छोड़कर देश के सभी राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर में दोगुनी से ज्यादा मौतें हुईं. दूसरी लहर के दौरान कुछ राज्य तो ऐसे रहे जिनमें कोरोना के कारण चार गुना तक मौतें हुईं. पांच राज्यों में ही कुल मौत का 55 प्रतिशत मौत हुई. 


पांच राज्यों में 55 प्रतिशत मौतें
1 अप्रैल के बाद दूसरी लहर के दौरान देश में कोरोना के कारण 2.1 लाख लोगों की मौत हुई. इनमें से 55 प्रतिशत तो सिर्फ पांच राज्यों में रिकॉर्ड किया गया. महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटका, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दूसरी लहर के दौरान 1.18 लाख लोगों की मौत हुई जो देश में हुई कुल मौत का 55 प्रतिशत है. ये पांचों राज्य कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित भी थे. इन पांचों राज्यों में 1 अप्रैल से छह सप्ताह तक कुल मौत की 60 प्रतिशत से ज्यादा मौतें हुईं. इस मतलब यह कि इन राज्यों में पहले की तुलना में 2 से 2.5 गुना ज्यादा मौतें हुईं. ज्यादातर राज्यों में यही आंकड़ा रहा. 


बिहार में 80 प्रतिशत मौत
कुछ राज्यों में तो 1 अप्रैल के बाद 80 प्रतिशत तक कोरोना के कारण मौतें हुईं. इनमें बिहार सबसे आगे रहा. यहां कुल मौतों में 83 प्रतिशत मौतें एक अप्रैल के बाद दर्ज हुई. हालांकि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बिहार सरकार ने हाल ही में मौत के आंकड़ों में संशोधन किया है और इसमें 4000 और मौत को जोड़ा है. इसलिए पहले की मौत के बारे में कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है. पूरे देश में पहले की तुलना में 2 से ढाई गुना मौत दूसरी लहर के दौरान दर्ज की गई. उत्तराखंड, असम, गोवा और झारखंड में दूसरी लहर के दौरान 70 प्रतिशत से ज्यादा मौत दर्ज हुई. पूरे देश में पहल 1.64 लाख लोगों की मौतें हुई थी लेकिन 1 अप्रैल के बाद में इसमें इजाफा होते हए यह 3.73 लाख तक पहुंच गया.


चार भाग्यशाली राज्य
सिर्फ चार ऐसे भाग्यशाली राज्य थे जहां पहले के मुकाबले दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा दोगुना तक नहीं पहुंचा. ये राज्य हैं- पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा और ओडिशा. जबकि संघशासित क्षेत्र लद्दाख भी इस रुझान में नहीं आया. वहां भी मौत पहले के मुकाबले ज्यादा नहीं हुई.


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