नई दिल्ली: एलएसी पर चीन से चल रहे सीमा विवाद के दौरान रक्षा मंत्री ने साफ तौर से कहा कि सेना ने जिस तरह देश की अखंडता और सार्वभौमिकता की रक्षा की है उससे देश के एक अरब से भी अधिक देशवासियों का सेना के प्रति विश्वास और अधिक बढ़ गया है. रक्षा मंत्री आज राजधानी दिल्ली में थलसेना के टॉप कमांडर्स को संबोधित कर रहे थे.
रक्षा मंत्री के मुताबिक, भारतीय सैनिक चीन से सटी एलएसी पर डटे हुए हैं लेकिन विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए कोशिशें चलती रहेंगी. थलसेना के चार दिवसीय 'आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस' के तीसरे दिन टॉप कमांडर्स को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने विश्वास दिलाते हुए कहा, " ये पूरे देश की जिम्मेदारी है कि प्रतिकूल जलवायु और दुश्मन की सेना के खिलाफ हमारे सैनिकों को आधुनिक हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान के साथ साथ जरूरी (गर्म) कपड़े भी मुहैया कराएं."
रक्षा मंत्री के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने सीडीएस और डीएमए (डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स) जैसे विभागों को स्थापित कर इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (आईबीजी), इंटीग्रेटेड थियटेर कमांड, एयर डिफेंस कमांड का रास्ता खुल गया है जो भविष्य के युद्ध में 'गेम-चेंजर' साबित होंगे. उन्होनें कहा कि हाल में स्थापित कई गईं साईबर डिफेंस और स्पेस डिफेंस एजेंसियों से सेनाओं की ऑपरेशन्ल तैयारियों में तेजी आएगी. रक्षा मंत्री ने सेना को पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमाओं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए भी प्रशंसा की.
बता दें कि राजधानी दिल्ली में इनदिनों चार दिवसीय (26-29 अक्टूबर) आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस चल रहा है जिसमें थलसेना प्रमुख के नेतृत्व में सभी टॉप कमांडर्स सेना से जुड़े मुद्दों पर कॉलेजियट-सिस्टम से नीति-निर्धारण करते हैं. ये सम्मलेन ऐसे समय में हो रहा है जब पिछले छह महीने से एलएसी पर चीन से टकराव चल रहा है, हालांकि दोनों देश बातचीत के जरिए विवाद खत्म करने की कोशिशें भी कर रहे हैं.
साल में दो बार होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में सेना की ऑपरेशन्ल तैयारियों, ऑप्स-लॉजिस्टिक, सैनिकों से जुड़े मुद्दों और ह्यूमन रिर्सोस मैनेजमेंट पर खास तौर सए चर्चा की जाती है. रक्षा मंत्री को इस सम्मेलन को मंगलवार को संबोधित करना था लेकिन अमेरिका के साथ 'टू प्लस टू' डायलॉग के चलते उसे आज के लिए टाल दिया गया था.
सम्मेलन के चौथे और आखिरी दिन यानि गुरूवार को बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) द्वारा चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर चल रहे निर्माण कार्यों (सड़क, पुल और सुंरग इत्यादि) सहित दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर की समीक्षा का होगा.
इसके अलावा इस बात पर चर्चा होगी कि किस कमांड (कमान) को कितने सैनिकों की आवश्यकता है और तैनाती के दौरान सैनिकों की क्या क्या जरूरतें होंगी? क्योंकि इस वक्त चीन से सटी पूरी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तनातनी चल रही है. साथ ही पाकिस्तानी से सटी एलओसी पर किसी भी तरह से तैनाती को कम नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा कश्मीर और उत्तर-पूर्व में काउंटर-इनसर्जेंसी और काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशन्स में तैनात सैनिकों की कितनी तैनाती होगी?
ट्विटर द्वारा लद्दाख को चीन का हिस्सा दिखाने पर संसदीय समिति ने जताई कड़ी नाराजगी, कहा- जवाब नाकाफी