भारतीय वैक्सीन के सुरक्षित होने का एक और प्रमाण मिला, टॉप सरकारी कमिटी ने कहा- इनसे ब्लड क्लॉटिंग नहीं होती
Bharat Biotech Covid-19 Vaccine Covaxin: एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन के प्रतिकूल असर को देखते हुए दुनिया भर में भारतीय वैक्सीन को कसौटी पर परखा जा रहा है. ऐसे में भारतीय वैक्सीन पर आई यह रिपोर्ट सुरक्षा मानकों की कसौटी को पूरा करती है.
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भारतीय वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड के साइड इफेक्ट की पड़ताल करने के लिए बनी टॉप सरकारी कमिटी ने साबित कर दिया है कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड लेने के बाद ब्लड में थक्का (clotting) नहीं जमता. कमिटी ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे वैक्सीनेशन ड्राइव के तहत 400 प्रतिकूल असर वाले लोगों के स्वास्थ्य का गहन विश्लेषण किया, इसके बाद पाया कि इन वैक्सीन से खून में किसी तरह का थक्का नहीं बनता. सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के पास कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौप दी है.
साइड इफेक्ट वाले 412 लोगों की रिपोर्ट का परीक्षण इस मामले को देख रहे इंक्लिन ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक और नेशनल एडवर्स इवेंट फोलोइंग इम्यूनाइजेशन (एनईएफई) के सलाहकार डॉ एन के अरोड़ा ने बताया कि इस तरह के केस का विश्लेषण कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि कोविशिल्ड या कोवैक्सीन की डोज लेन के बाद किसी तरह की अस्वभाविक ब्लीडिंग या खून में थक्का नहीं जमता. डॉ अरोड़ा ने बताया कि वैक्सीन लेने वालों में से 412 ऐसे केसों का विश्लेषण किया गया जिसमें वैक्सीन की डोज लेने के बाद व्यक्ति पर कुछ न कुछ प्रतिकूल असर पड़ा था. इन मामलों में व्यक्ति को अस्पताल ले जाना पड़ा था जबकि कुछ मामलों में व्यक्ति की मौत भी हो गई थी. अंत में कमिटी के विशेषज्ञों ने पाया कि इनमें से कोई भी ऐसा मामला नहीं था जिसमें वैक्सीन की डोज लेने के कारण व्यक्ति की खून में बहाव आया हो या खून में थक्का जम गया हो.
साइड इफेक्ट वाले लोगों पर एक्सपर्ट ग्रुप की बारीक नजर इस निष्कर्ष को कोविड 19 के लिए बने नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन (एनईजीवीएसी) और जीएसीवीएस के सामने पेश किया गया. डॉ अरोड़ा ने बताया कि जितने भी एडवर्स इफेक्ट का मामला आ रहा है, उन सब पर बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है. ऐसे समय में जब वैक्सीनेशन की गति को तेज किया जा रहा है, राज्य और केंद्र सरकार बेहतर तालमेल के साथ गंभीर एईएफआई वाले लोगों की पहचान करती है और उनका सभी परीक्षण बहुत तेजी से करती है. इन सब मामलों पर एनईजीवीएसी की नजर रहती है. उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करते हैं कि जितने भी एडवर्स इफेक्ट वाले केस सामने आते हैं, दो से तीन सप्ताह के अंदर इनके कारणों का पता लगा लेते हैं.
विदेश में भारतीय वैक्सीन को कसौटी पर परखा जा रहा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन के साइड इफेक्ट को देखते हुए कई देशों में भारतीय वैक्सीन कोविशिल्ड के जोखिम को कसौटी पर परखा जा रहा है. क्योंकि कोविशिल्ड भी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की तर्ज पर ही बनी है. सुरक्षा जोखिम को देखते हुए नीदरलैंड, थाईलैंड, नोर्वे, डेनमार्क, आय़रलैंड, आइसलैंड, बुल्गारिया, लग्जमबर्ग, लिथुआनिया, एस्टोनिया और लटाविया में एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन की डोज को स्थगित कर दिया गया है. हालांकि पिछले सप्ताह डब्ल्यूएचओ और यूरोपियन मेडिसीन ऑथोरिटी की सेफ्टी कमिटी ने कहा था कि उपलब्ध डाटा के आधार पर हम यह नहीं कह सकते कि वैक्सीन लेने से ब्लड क्लोटिंग होती है.
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