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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

2 दीवारों के बीच छुपा था आतंकी रियाज नायकू, पढ़ें- टॉप हिजबुल कमांडर की मौत की पूरी कहानी

जानिए कैसे पुलिस और सेना को बार-बार चकमा दे रहा था आतंकी रियाज. जमीन के अंदर कैसे बना रखे थे रियाज ने ठिकाने.

श्रीनगर: कश्मीर घाटी में 6 मई को सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिली जब हिजबुल मुजाहिदीन के जम्मू कश्मीर के प्रमुख रियाज़ नायकू को सुरक्षा बलों ने मार गिराया. एनकाउंटर के 24 घंटे के बाद अब इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी सामने आई है. जम्मू कश्मीर पुलिस के अनुसार रियाज नायकू पिछले कई सालों से सुरक्षा बलों के रडार पर था लेकिन उसने पूरे दक्षिण कश्मीर में ऐसा जाल बिछा रखा था कि हर बार साफ़ बच निकल जाता था.

रियाज को मारने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने छह महीने पहले एक विशेष टीम बनाई, जिसकी अगुवाई दक्षिण कश्मीर के DIG अतुल कुमार गोयल को सौंपी गई. गोयल के साथ जम्मू कश्मीर पुलिस के कई युवा अफसरों को जोड़ा गया. जिनके जिम्मे रियाज को पकड़ने का काम दिया गया.

टीम के गठन के बाद रियाज के नेटवर्क को खंगालने का काम शुरू किया गया. जिसमें पता चला कि रियाज का नेटवर्क बहुत ही बड़ा है. इस नेटवर्क में आम लोगों के साथ-साथ कई ड्रग माफिया और तस्कर भी शामिल हैं. जिस के बाद इनके फोन और ई-मेल पर निगरानी रखी जाने लगी.

कश्मीर की ड्रग बेल्ट में फैला था रियाज का नेटवर्क

जम्मू कश्मीर पुलिस के IG विजय कुमार के अनुसार, रियाज नायकू का पूरा नेटवर्क दक्षिण कश्मीर के जिस बेल्ट में फैला था वो कश्मीर का ड्रग बेल्ट है. यहां पर हर साल करोड़ों रुपये की पोसत अवैध रूप से उगाई जाती है और इसका पूरा संचालन रियाज नायकू के जरिए होता था और उसके संगठन को आर्थिक मदद मिलती थी.

रियाज ने अपने इसी नेटवर्क की मदद से खुले मैदानों में जमीन के नीचे कई ठिकाने बना रखे थे, जिनमें वह छुप जाता था. इन अंडरग्राउंड ठिकानों के कारण ही हर बार खबर मिलने के बाद भी सुरक्षा बल रियाज तक नहीं पहुंच पाते थे. हर तलाशी अभियान के दौरान पुख्ता जानकारी के बावजूद भी नायकू पकड़ में इसलिए नहीं आता था क्योंकि सुरक्षा बल उसके ठिकानें को मकानों के अंदर ढूंढते थे जबकि वह जमीन के नीचे रहता था.

जमीन के नीचे बना रखे थे ठिकाने

इस जानकारी के आधार पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने मार्च महीने की शुरुआत में रियाज नायकू के अंडरग्राउंड ठिकानों को ढूंढ कर नष्ट करना शुरू कर दिया. जनवरी महीने से अभ तक 150 से जायदा ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन रियाज फिर भी उनकी पकड़ से बाहर रहा.

आखिर मार्च के महीने की शुरुआत में पुलिस टीम को और ज्यादा पुख्ता जानकारियां मिलनी शुरू हो गईं. एक के बाद एक ठिकानों को ढूंढ कर नष्ट किया जाने लगा और रियाज नायकू के कारीबी लोगों पर पैनी नजर रखी जाने लगी. जिस के बाद रियाज के ऊपर पुलिस का दबाव बढ़ने लगा.

फिर अप्रैल महीने में जम्मू कश्मीर पुलिस को पता चला कि रियाज नायकू के बेगपोरा में कई ठिकाने मौजूद हैं जो यहां से गुजरने वाली रेल लाइन के दोनों तरफ बने हैं. खुफिया जानकारी में ये भी बताया गया कि सभी ठिकाने टनल के जरिए जुड़े हुए हैं.

इनमें एक ठिकाना उसके अपने घर में था जो रेल लाइन के एक तरफ था और दूसरा उसके चाचा के घर में था जो दूसरी तरफ था. आखिर रविवार को जब पुलिस को पुख्ता जानकारी मिली कि नायकू इसी इलाके में मौजूद है. जिसके बाद छापेमारी शुरू की गई. तीन दिनों में सुरक्षा बलों ने उसके छह ठिकाने ढूंढकर नष्ट कर दिए, लेकिन नायकू फिर भी नहीं मिला. पुलिस ने सातवें ठिकाने पर जो उसके चाचा के घर में था उस पर पूरा जोर लगा दिया.

मां से मिलने आया था रियाज

मुखबिरों ने DIG अतुल गोयल को मंगलवार को पक्की जानकारी दी कि रियाज नायकू अपनी मां से मिलने के लिए गांव में आया है. इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की एक छोटी टुकड़ी ने उस जगह को घेरे में लिया जहां रियाज के होने की खबर थी. लेकिन इस बार भी पुलिस को लगा कि रियाज फिर से भाग गया. गहन तलाशी के बाद भी ना तो रियाज का कोई ठिकाना ही मिला और ना ही खुद रियाज. लेकिन मुखबिरों के इस आग्रह पर कि रियाज वहीं मौजूद है, तो पुलिस ने सेना को बुलाया और तलाशी को और कड़ा कर दिया.

उसके टनल के नेटवर्क को ढूंढने के लिए जगह-जगह खुदाई की गई, लेकिन यहां भी सुरक्षा बलों को कोई भी सफलता नहीं मिली. ठिकाना कितना गुप्त था इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि खुद DIG अतुल गोयल दो बार उस मकान में गए जहां रियाज के छुपे होने की खबर थी. सेना ने तलाशी को खत्म करने की सलाह दी लेकिन DIG अतुल गोयल को अपने मुखबिर की खबर पर पूरा भरोसा था और इसीलिए तलाशी को रात भर जारी रखा गया. फिर दूसरे दिन कई बार तलाशी के बाद आखिर बुधवार की सुबह पुलिस को वह ठिकाना मिल गया जो छत के नीचे बना हुआ था.

दो दीवारों के बीच छुपा था आतंकी

जम्मू कश्मीर पुलिस के DGP दिलबाग सिंह ने इस ठिकाने के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह हाईड आउट दो दीवारों के बीच बना हुआ था. मकान में बाहर की दीवार के अंदर एक और दीवार बनाई गई थी जिस के अंदर दो से तीन लोग आराम से छुप सकते थे.

ठिकाना मिलते ही अंदर छुपे हुए रियाज नायकू और उसके साथ आदिल भट्ट को अपने पकड़े जाने का पूरा यकीन हो गया. जिसके बाद दोनों ने सुरक्षा बलों पर फायरिंग शुरू कर दी. गोलीबारी शुरू होते ही पुलिस ने पूरे कश्मीर में इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर रोक लगा दी, क्योंकि रियाज नायकू ने अपने साथियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहा था.

जिसके चलते आस-पास के गांव के कई लोग सड़कों पर निकल कर मुठभेड़ वाली जगह की तरफ जाने लगे. पत्थरबाजी हुई जिसमें कई लोग जख्मी भी हुए लेकिन सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में कोई कमी नहीं आई.

आठ साल लंबे आतंक के सफर का हुआ अंत

बुधवार सुबह नौ बजे मुठभेड़ शुरू हुई और दोपहर एक बजे तक दोनों आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया, लेकिन तब तक मुठभेड़ में तीन मकान नष्ट हो गए. मुठभेड़ के दौरान रियाज नायकू एक मकान से दूसरे मकान में भागने में कामयाब भी रहा, लेकिन सुरक्षा बलों ने मकान को IED के विस्फोट से उड़ा दिया और इस के साथ ही रियाज़ नायकू का 8 साल लंबा आतंक के सफर का अंत हुआ.

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