नई दिल्ली: 26 फरवरी, सुबह के करीब तीन बजे! भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को बमों से पूरी तरह तबाह कर दिया. इसी कैंप में पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रची गई थी. पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले का बदला भारत को लेना था. कई रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक कर 300 से अधिक आतंकियों को मार गिराया.


अब करीब एक सप्ताह बाद मारे गए आतंकियों की संख्या पर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, सत्ताधारी दल पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाई को चुनावी रैलियों में खूब भुना रही है. ऐसे में विपक्षी पार्टियां बीजेपी के रुख को कुंद करने के लिए सरकार से मारे गए आतंकियों की संख्या पर आधिकारिक रिपोर्ट मांग रही है.


वायुसेना प्रमुख बीएस धनोवा ने साफ-साफ कह दिया है कि आतंकियों की संख्या बताने का काम सरकार का है. हमारा काम टारगेट पूरा करना है. वायुसेना प्रमुख धनोआ ने आज कहा, ''बालाकोट हवाई हमले में हताहत हुए आतंकियों की संख्या की जानकारी सरकार देगी. मरने वालों की संख्या लक्षित ठिकाने में मौजूद लोगों की संख्या पर निर्भर करती है, वायुसेना मरने वालों की गिनती नहीं करती.''


मारे गए आतंकियों की संख्या पर सरकार ने सटीक जानकारी नहीं दी है. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जरूर कहा है कि पाकिस्तान के बालाकोट में भारत ने 250 से अधिक आतंकियों को मार गिराए.


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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से इतर केंद्रीय राज्य मंत्री एसएस अहलुवालिया ने कहा कि भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया में मारे गए आतंकियों के अपुष्ट आंकड़े प्रसारित किए जा रहे थे. एयर स्ट्राइक के बाद पीएम मोदी ने राजस्थान के चुरू में रैली की. क्या पीएम मोदी ने कभी कहा कि स्ट्राइक में 300 लोग मारे गए? क्या बीजेपी के किसी प्रवक्ता ने कभी कहा कि स्ट्राइक में 300 लोग मारे गए. क्या अमित शाह ने कहीं ये कहा. हमले का उद्देशय मारना नहीं संदेश देना था, यह जरूरी था.


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सरकार ने 26 फरवरी की सुबह को किये गए एयर स्ट्राइक की उसी दिन आधिकारिक जानकारी दी थी. विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा था, ''फिदायीन हमले की आशंका को देखते हुए स्ट्राइक के जरिये कार्रवाई की जररूरत थी. भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के ट्रेनिंग कैंप पर एयर स्ट्राइक किया. इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में आतंकी, ट्रेनर, सीनियर कमांडर और फिदायीन हमले के लिए तैयार किये जा रहे जिहादी को मार गिराया गया. यह कैंप जैश कमांडर युसूफ अजहर उर्फ उस्ताद गौरी चला रहा था. गौरी मसूद अजहर का बहनोई था.''


उन्होंने कहा, ''भारत ने गैर सैन्य कार्रवाई की, जिसका मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था. हमने जैश ए मोहम्मद के ठिकानों को निशाना बनाया जो घने जंगल में पहाड़ियों पर थे और नागरिक इलाकों से दूर थे.''


अब विपक्षी पार्टियां सेना की तारीफ करने के साथ आतंकियों की संख्या भी पूछ रही है. कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, ''300 आतंकवादी मारे गए, हां या नहीं? फिर क्या मकसद था? आप आतंकवादियों को मार रहे थे या पेड़ को उखाड़ रहे थे? विदेशी शत्रु से लड़ने की आड़ में छल हमारे जमीन पर हो रही था. क्या यह चुनावी हथकंडा था? सेना का राजनीतिकरण बंद करो, यह देश की तरह पवित्र है.'' कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह ने भी सरकार से आंकड़ों की मांग की.


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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, ''देश जानना चाहता है कि आतंकी कैंप पर हमले में कितने मरे?'' जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और एनसी प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने भी यह सवाल पूछे हैं.


दरअसल, पाकिस्तान ने बालाकोट में आतंकियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया था. जिसकी वजह से पत्रकार घटना स्थल पर नहीं जा सके, जिससे कि नुकसान का अंदाजा लगाया जा सके. सवाल उठ रहे हैं कि अगर बालाकोट में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ तो मीडिया को कार्रवाई वाली जगह पर क्यों नहीं जाने दिया गया?


हालांकि आतंकी कैंप से कुछ दूरी पर स्थित मकान में रह रहे लोगों ने कहा था कि 26 तारीख की रात को कुछ देर तक तेज आवाज हुई थी. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बालाकोट स्थित आतंकी कैंप के आसपास के लोगों से बातचीत के आधार पर कहा कि एयर स्ट्राइक हुई है लेकिन कितने आतंकी मारे गए यह स्पष्ट नहीं है.


विपक्षी दलों के सवालों पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलटवार किया. उन्होंने आज गुजरात के जामनगर में कहा, मुझे जामनगर की जनता से पूछना है कि सेना जो कहती है उसपर भरोसा करना चाहिय या नहीं. सेना जो कहे उसे सच मानना चाहिए, पर कुछ लोगों को उससे तकलीफ होती है.