नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के टिकट बंटवारे के साथ ही ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या दीदी ने अपनी पार्टी की तरफ से चुनावी मैदान में कम अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को उतारे हैं? ममता बनर्जी ने आज अपनी पार्टी के लिए 291 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया जिनमें 42 मुस्लिम उम्मीदवार हैं. ममता ने 3 सीटें अपनी सहयोगी पार्टी को दी हैं. टीएमसी ने 50 महिला कैंडिडेट्स को टिकट दिए हैं. सूबे में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं.
क्या है पिछला आंकड़ा?
साल 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने कुल 294 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 57 उम्मीदवार अल्पसंख्यक समुदाय से थे. यानि कुल सीटों का 20 फीसदी टिकट अल्पसंख्यकों को दिया था. जबकि 45 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए थे.
इसी तरह साल 2011 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा था, तब पार्टी ने 184 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. उस साल भी ममता बनर्जी ने 38 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए थे. जोकि कुल सीटों का करीब-करीब 20 फीसदी ही होता है. साल 2011 में 31 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिए गए थे.
साल 2021 के आंकड़े का क्या मतलब हुआ?
इस साल पार्टी ने 291 में से 42 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं यानि सिर्फ 14.5 फीसदी मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जोकि पिछली बार के मुकाबले 15 सीटें कम हैं.
ग़ौरतलब है कि सूबे में मुसलमानों की आबादी करीब 28 फीसदी है. 70 से 100 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर्स किसी भी पार्टी की जीत या हार में बड़ी भूमिका निभाने का दमखम रखते हैं.
पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से आठ चरणों में वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती दो मई को होगी.