नई दिल्ली: अंधविश्वास किसी भी समाज के विकास में बाधक होता है. ताजा मामला मध्यप्रदेश से सामने आया है. यहां ये अफवाह फैलाया गया कि सतपुड़ा के जंगल में महुआ के पेड़ को छूने से समस्या का समाधान हो जाता है. ऐसे में एक महिला भी इस तरह के चमत्कार का दावा सुनकर पूरे परिवार के साथ जंगल पहुंच गईं. अब वहां जाने के बाद उनकी समस्या तो दूर नहीं हुई लेकिन बच्चों के मोबाइल फोन चोरी हो गए.


जब महिला से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्थिति वहां ज्यादा गंभीर है. वहां अंधविश्वास फैला हुआ है. काफी भीड़ जा रही है. किसी को आराम नहीं है. हमें तो बिल्कुल नहीं है. जंगल से लौटने के बाद इनकी आंखें खुल गई हैं. इन्हें पता चल गया है कि ये अंधविश्वास से ज्यादा कुछ नहीं. महिला ने बताया कि बच्चों के फोन चोरी होने के अलावा उनके पति के 15 हजार कैश चोरी हो गए. पर्स भी खो गया था लेकिन वापस मिल गया. पुलिस ने इसे ढूंढ कर दिया.


पुलिस ने बताया कि वहां कुछ लोग सिर्फ इसलिए मौजूद थे ताकि लोगों के बीच अंधविश्वास को गहरा किया जा सके. वे अफवाह फैला रहे हैं और बताते हैं कि काफी लोग इससे ठीक हो गए हैं. किसी का हाथ टेढ़ा था ठीक हो गया तो किसा का लकवा था वो ठीक हो गया है. ऐसी बातें सुनकर पिछले कई दिनों में वहां भीड़ लगातार बढ़ती रही. अब सवाल ये है कि ऐसे इंतजाम क्यों नहीं किए गए कि भीड़ जब पहले दिन जंगल के भीतर अंधविश्वास को लेकर पहुंची थी तब ही उसे रोक लिया जाता. भारत में अंधविश्वास में डूबी जनता की ऐसी तस्वीरें बार-बार सामने आती रही हैं.


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ऐसे में देश की सरकारों से सवाल है कि वे क्यों अपने देश की जनता के बीच वैज्ञानिक सोच विकसित में नाकाम रहे. सरकारें लोगों को ये समझाने में नाकाम क्यों रही कि चमत्कार नहीं होते. सिस्टम लोगों के बीच ये भरोसा पैदा क्यों नहीं कर पाया कि तबीयत खराब है तो डॉक्टर के पास जाओ पेड़ के पास नहीं. पेड़ तो ऑक्सीजन देता है. पेड़ भला लकवा कैसे ठीक कर सकता है? क्या इसके पीछे देश की कमजोर मेडिकल व्यवस्था है, जो गरीब आदमी को इलाज से दूर कर देती है.


साल 2017 में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कैग की रिपोर्ट कहती है कि देश के 73 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दूरदराज के गांवों में तीन किमी से ज्यादा दूर हैं. 28 फीसदी स्वास्थ्य केंद्र तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट से नहीं पहुंचा जा सकता. 17 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गदंगी का अंबार है और 24 राज्यों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जरूरी दवाएं तक मौजूद नहीं थीं.


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अंधविश्वास के पीछे ये आंकड़े भी जिम्मेदार हैं जो खुशहाल जीवन की गारंटी देने वाली आधारभूत सुविधाओं के आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर होने की कहानी सुनाते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि ग्लोबल वीडियो न्यूज एजेंसी आर टी ये वीडियो जारी करती है और पूरी दुनिया हिंदुस्तान की जनता के अंधविश्वास के पैरों में लेटने की ये तस्वीर देखता है. ये हमारे देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाता है.


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