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Tractor Rally: गाजीपुर बॉर्डर से लेकर आईटीओ तक की घटना का आंखों देखा हाल

मंगलवार को किसान उन रूट पर चले गए जहां जाने की उन्हें इजाजत नहीं थी. कई जगहों पर किसानों ने हुड़दंग किया. पुलिस की तरफ से किए गए इंतजामों को हटा दिया. सड़कों पर लगे डिवाइडर्स को तोड़ दिया और पुलिस द्वारा लगाई गई बसों को तहस-नहस कर दिया.

नई दिल्ली: गाजीपुर बॉर्डर पर 26 जनवरी के 1 दिन पहले से ही तैयारियां शुरू हो गई थी. 26 जनवरी को तय वक्त के हिसाब से दोपहर 12 बजे से लेकर 5 बजे तक ट्रैक्टर मार्च की अनुमति थी. लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर सुबह से ही ट्रैक्टर कतारबद्ध होने लगे थे. सुबह करीब 9:30 से लेकर 9:45 के बीच ट्रैक्टर उस रास्ते पर खड़े होने लगे जिस रास्ते पर ट्रैक्टर मार्च होना था. सुबह करीब 10:00 बजते बजते ट्रैक्टर आगे बढ़ गए और उस जगह पर पहुंचे जहां पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई थी और जहां से आनंद विहार की तरह मार्च करने का रूट था.

एनएच-24

इसी दौरान करीबन 1 दर्जन ट्रैक्टर और सैकड़ों की संख्या में किसान पैदल ही एनएच 24 हाईवे पर आगे बढ़ने लगे. हालांकि रुट के मुताबिक एनएच 24 पर नहीं जाना था लेकिन पैदल किसान और उनके पीछे पीछे ट्रैक्टर पर आगे बढ़ रहे थे. इस दौरान पुलिस ने भी कुछ इंतजाम किए हुए थे जिसको किसानों ने धता बताते हुए रास्ते से हटा दिया और धीरे धीरे कर अक्षरधाम की तरफ आगे बढ़ने लगे. इस दौरान धीरे धीरे कर जो ट्रैक्टर आनंद विहार की तरफ जाने वाले रास्ते के लिए कतार बद हुए थे उसमें से भी पीछे के कई ट्रैक्टर उन किसानों के पीछे चल दिए हैं जो ट्रैक्टर और पैदल मार्च कर एनएच-24 पर चल रहे थे.

सुबह करीब 10:30 बजे के आसपास एनएच 24 पर चल रहे किसानों ने अक्षरधाम मंदिर से पहले पुलिस द्वारा किए गए इंतजामों को भी हटाने की कोशिश की. किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने कई राउंड आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया. शुरुआत में करीब आधे घंटे तक तो किसान पुलिस के आंसू गैस के गोलों के चलते रुके रहे. लेकिन बाद में ट्रैक्टर्स के सहारे पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को उखाड़ फेंका. इतना ही नहीं पुलिस ने क्रेन की मदद से वहां पर बैरिकेड लगाए थे उस क्रेन को किसानों ने अपने कब्जे में कर लिया और पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड और रास्ते को रोकने के लिए खड़ी की गई बसों को उस क्रेन की मदद से सड़क किनारे धकेल दिया और रास्ता खोल दिया.

आईटीओ 

सुबह करीब 11 बजे किसान अक्षरधाम मंदिर के सामने से होते हुए निजामुद्दीन ब्रिज को पार करते हुए इंद्रप्रस्थ पार्क तक पहुंच गए और वहां से प्रगति मैदान और आईटीओ वाले रास्ते की तरफ आगे बढ़ गए. हालांकि इस दौरान सुरक्षा कर्मी जो रास्ते पर खड़े भी थे उन्होंने भी किसानों को रोकने की कोशिश नहीं की और वह सिर्फ मूक दर्शक बने किसानों के हुड़दंग और मार्च को देख रहे थे.

सुबह करीब 11:30 बजे किसानों का काफिला भैरों मार्ग के पास पहुंच चुका था. वहां पर पहुंचने के बाद कुछ ट्रैक्टर तो आईटीओ की तरफ आगे बढ़ गए तो वहीं कुछ ट्रैक्टर रुक गए. आगे बढ़े ट्रैक्टर वाले भी आगे जाकर रुक गए और आपस में चर्चा कर रहे थे कि जाना किधर है क्योंकि उनमें से कई लोगों को इस बारे में जानकारी भी नहीं थी कि इस मार्च को जाना कहां है.

इसी बीच पीछे जो ट्रैक्टर भैरों मार्ग वाले कट पर रुके हुए थे वो आउटर रिंग रोड पर ही आगे बढ़ गए. उन ट्रैक्टर्स को आगे बढ़ता देख जो ट्रैक्टर आगे इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन के पास पहुंच कर रुक गए थे वह फिर आगे बढ़ गए. हालांकि वहां से सीधा रास्ता लाल किले के पिछले द्वार तक जाता है लेकिन ट्रैक्टर उस रास्ते पर नहीं गए और आईटीओ पुल के नीचे से आईटीओ चौक की तरफ मुड़ गए.

आईटीओ चौराहा

दोपहर करीब 12:30 बजे के आसपास किसानों का ट्रैक्टर मार्ग आईटीओ चौराहे तक पहुंच गया और आईटीओ से इंडिया गेट जाने वाले रास्ते की तरफ मुड़ने लगा. लेकिन 26 जनवरी के चलते और किसानों के संभावित हुड़दंग को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने पहले से ही आईटीओ रेलवे लाइन के नीचे सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर रखे थे. बड़ी संख्या में बैरिकेड तैनात किए गए थे और बसों को सड़क पर खड़ा किया गया था. जैसे ही किसानों का ट्रैक्टर मार्च इंडिया गेट वाले रास्ते पर मुड़ा पुलिस और प्रशासन ने किसानों को रोकने की कोशिश की. इस दौरान किसानों ने सड़कों पर लगे डिवाइडर्स को तोड़ दिया और पुलिस द्वारा लगाई गई बसों को तहस-नहस कर दिया. दोपहर करीब 1 बजे किसानों के बीच जो उपद्रवी तत्व शामिल थे उनके उपद्रव को देखते हुए पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े. जिसके बाद कुछ किसान पीछे भागे लेकिन इसी बीच एक किसान ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को आईटीओ के पास तोड़ने की कोशिश की जिसमें उसका ट्रैक्टर पलटा और वह किसान गंभीर रूप से घायल हुआ ( मृतक). इसी दौरान एक बार फिर ट्रैक्टर पर सवार होकर उपद्रवी तत्वों ने 3-4 ट्रैक्टर आईटीओ चौक पर दौड़ाने शुरू कर दिए. ट्रैक्टर पर बैठे किसानों का मकसद पुलिस को पीछे धकेलने का था और इसमें वह कामयाब भी हुए.

पथराव

इस बीच पुलिस पीछे हटी तो प्रदर्शनकारी एक बार फिर आगे बढ़े. जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर उनको खदेड़ा और आंसू गैस का इस्तेमाल भी किया. दोपहर करीब 2:30 बजे जब एक बार फिर ट्रैक्टर पर मौजूद किसानों ने ट्रैक्टर को आईटीओ चौक के आसपास दौड़ाना शुरू किया और पुलिस पर पथराव शुरु किया, फिर एक बार पुलिस थोड़ा पीछे हट गई और इसी का फायदा उठाकर आईटीओ पर जो किसान पहले इंडिया गेट की तरफ ट्रैक्टर मोड़ रहे थे उन्होंने दूसरी तरफ जो रास्ता लाल किले की तरफ जाता है उस तरफ ट्रैक्टर मोड़ दिए और वहां से सीधा लाल किले की तरफ आगे बढ़ गए.

धरना स्थल

आईटीओ से कई ट्रैक्टर और पैदल किसान तो लाल किले की तरफ बढ़ गए लेकिन उसमे से कुछ किसान आईटीओ चौक और आसपास के इलाकों में डटे रहे. लेकिन उपद्रव शांत हो गया था लिहाजा पुलिस ने भी उस दौरान जबरन उनको हटाने की कोशिश नहीं की. शाम करीब 6:15 बजे उन किसानों को पुलिस समझाने में सफल हुई और वह किसान भी आईटीओ चौक से हटकर वापस अपने-अपने धरना स्थल पर चले गए.

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