नई दिल्ली: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने भारत के उन 7 करोड़ व्यापारियों की ओर से सरकार के खिलाफ गहरी निराशा और आक्रोश व्यक्त किया है जो कि देश की सप्लाई चेन की मुख्य कड़ी के रूप में अपना दायित्व निभा रहे हैं. आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय ट्रेडर्स और रिटेलर्स के इस समूह की पूरी तरह से अनदेखी की गई है.
क्या कहा व्यापारी महासंघ के चेयरमैन ने
व्यापारी महासंघ के चेयरमैन महेंद्र शाह ने एबीपी न्यूज़ से कहा हमारे 7 करोड़ व्यापारी देश में 40 लाख लोगों को रोज़गार देते हैं. हमनें नोटबंदी के समय भी सरकार का साथ दिया था और लॉकडाउन में भी देश में अनाज की कमी नहीं होने दी. लेकिन 20 लाख करोड़ के 13 शून्य में से हमें एक शून्य भी नहीं दिया गया.
क्या कहा व्यापारी महासंघ के महासचिव ने
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि देश में व्यापार करने वाले सभी प्रकार के व्यवसायी हमारे संघ के अंतर्गत आते हैं. इन्हीं के मार्फत देश के 130 करोड़ लोगों तक हर तरह का सामान पहुंचता है. आज ये व्यापारी क्राईसिस में हैं क्योंकि लॉक डाउन खुलने के बाद भी इनका मार्केट में फँसा हुआ पैसा 60 दिन से पहले वापस नहीं आएगा. ऐसे में व्यापार के इंफ़्रास्ट्रकचर समेत सभी खर्चे व्यापारी कैसे उठाएगा. प्रधानमंत्री ने लॉक डाउन के दौरान हमारे लिए तीन ट्वीट किए लेकिन पैकेज में हमें कुछ भी नहीं दिया.
सरकार पर सौतेले व्यवहार का आरोप
दिल्ली एनसीआर कैट संयोजक सुशील कुमार जैन ने कि प्रधान मंत्री ने कई अवसरों पर व्यापारियों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा है. खुदरा विक्रेताओं ने कोरोना योद्धाओं के रूप में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की है. फिर भी आर्थिक पैकिज को लेकर व्यापारियों को एकदम से नकारे जाने से हर व्यापारी को बेहद पीड़ा है और आज देश भर के व्यापारी सरकार के इस सौतेले व्यवहार से आक्रोशित हैं.
कैसे होगा वेतन, ब्याज, बैंक ऋण और कर भुगतान
व्यापारी महासंघ ने कहा कि कैट इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करेगा क्योंकि लॉकडाउन हटने पर व्यापारी बड़े वित्तीय संकट में आ जाएंगे क्योंकि उन्हें वेतन, ब्याज, बैंक ऋण, कर और विभिन्न वित्तीय दायित्वों का भुगतान करना होगा.
मदद न मिलने पर 20% व्यापारियों बाज़ार से बाहर हो जाएंगे
महासंघ की चिंता है कि अगर सरकार द्वारा व्यापारियों के व्यापार की सुरक्षा नहीं की गई तो डर है कि लगभग 20% व्यापारियों को अपना व्यवसाय बंद करना पड़ेगा और अन्य 10 प्रतिशत व्यापारी जो इन 20% व्यापारियों पर निर्भर हैं, उन्हें भी अपना व्यवसाय बंद करना पड़ जाएगा. महासंघ संयोजक ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि ऐसी विकट स्थिति के तहत सरकार ने व्यापारियों को सहायता देने से इनकार कर दिया है. यह अफ़सोस की बात है कि अर्थव्यवस्था के ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र की बहुत अनदेखी की गई है.