नई दिल्ली: जो भी कर या शुल्क जीएसटी में शामिल नहीं किए गए हैं, उनमें किसी भी तरह का बदलाव राज्य सरकारें कर सकती हैं. ऐसी करों या शुल्को में मुख्य तौर पर स्थानीय निकायों के लिए वसूला जाने वाला मनोरंजन कर, मंडी फीस, लाइसेंस फीस, रोड टैक्स और टोल टैक्स मुख्य रुप से शामिल हैं.


ऐसे में अगर सिनेमा घर के टिकट या वाहनों पर जीएसटी की दर कम हो जाए तो उनकी कीमत में कमी के प्रयास को झटका लग सकता है, अगर राज्य सरकार उनपर स्थानीय निकायों के लिए वसूला जाने वाले मनोरंजन कर या रोड टैक्स बढा दे.


इसमें हमारा कोई रोल नहीं: राजस्व सचिव
राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने इस बारे में कहा, ''रोड और रजिस्ट्रेशन टैक्स जीएसटी के दायरे में नहीं हैं. जो टैक्स जीएसटी के अंदर हैं उसकी चिंता तो जीएसटी काउंसिल कर रही है लेकिन कुछ टैक्स हैं जिसे कम और ज्यादा करने का अधिकार राज्यों को दिया गया है. इसमें हमारा कोई रोल नहीं है, हम कुछ नहीं कर सकते.''


ऐसे समझें पूरे मामले को
महाराष्ट्र में और खास तौर पर मुंबई में स्थानीय निकाय की आमदनी का एक बड़ा जरिया ऑक्ट्रॉय रहा, जिसे जीएसटी में शामिल कर दिया गया है. ऐसे मे महाराष्ट्र सरकार रोड टैक्स की दर बढ़ाकर इसकी भरपाई करने की कोशिश करेगी.


ऐसी ही स्थिति दूसरे राज्यों में भी देखने को मिल सकती है जहां वैट की दर ज्यादा थी. यदि ऐसा हुआ तो कार कंपनियां भले ही दाम घटा दे, लेकिन उनपर रोड टैक्स की बढ़ी हुई दर लागू होने से कीमत में कमी का फायदा नहीं मिलेगा.