नई दिल्ली: गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुए संघर्ष के बाद पूरे देश में जहां एक ओर ‘बायकॉट चाइना’ का माहौल बना हुआ है, वहीं कुछ व्यापारी संगठन ऐसे भी हैं जो इसे नूरा कुश्ती या फिर खोखली राजनीति का नाम भी दे रहे हैं. उनका कहना है कि व्यापारी देश की सरकार के साथ हैं. देश की सेना के साथ है लेकिन जिस तरह से भारत और चीन के नाम पर जो राजनीति की जा रही है और जो दिखावा किया जा रहा है वह बंद होना चाहिए.
इन व्यापारियों का कहना है कि अगर हमारे देश की सरकार निर्णय लेती है कि चीन के साथ किसी भी तरीके का व्यापारिक रिश्ता नहीं रखना है, तो देश का व्यापारी सरकार के साथ है. लेकिन सिर्फ व्यापारी पर एक दबाव बनाया जाए कि वह ‘बायकॉट चाइना’ के नाम पर व्यापार बंद कर दे, तो वह उचित नहीं है.
इस विषय को लेकर हमने देश के सबसे बड़े कंप्यूटर मार्केट नेहरू प्लेस के व्यापारिक संगठन ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव स्वर्ण सिंह और देश के सबसे बड़े थोक बाजार सदर बाजार के व्यापारिक संगठन फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन(फेस्टा) के अध्यक्ष राकेश यादव चर्चा की, जिसमें दोनों ने कहा कि चीन से व्यापार सिर्फ उसी स्थिति में बंद हो सकता है, जब भारत सरकार यह निर्णय ले. व्यापारी अपने स्तर पर चीन के साथ व्यापार बंद नहीं कर सकता.
राकेश यादव, अध्यक्ष, फेस्टा(फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन) का बयान
राकेश यादव ने कहा, "हमारा यही कहना है कि जिस तरीके से अभी देशभर में यह माहौल दिखाया जा रहा है कि चीन के साथ व्यापारिक संबंध खत्म कर देनी चाहिए. व्यापारियों को चीन के साथ कोई व्यापार नहीं करना चाहिए. तो मेरा यही कहना है कि यह एक दिखावा मात्र है, क्योंकि जो भी व्यापारिक संगठन चाइना के नाम पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वे कहीं न कहीं अपने राजनीतिक आकाओं को दिखाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. अगर इस विषय को गंभीरता से लेना है, तो इसके लिए सबसे पहला कदम केंद्र सरकार को और राज्य सरकार को उठाना होगा, क्योंकि जो भी व्यापारी चीन के साथ व्यापार करता है, उसका सारा रिकॉर्ड केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास होता है. जीएसटी नंबर होता है, जिसमें सारी जानकारी दी होती है कि कौन व्यापारी किसके साथ कितना व्यापार करता है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "व्यापारी होने के नाते हम अपने देश के साथ हैं. देश की सेना के साथ है. जो भी गलवान घाटी में हुआ है, उसका हम सख्त विरोध करते हैं. चीन का इसको जवाब मिलना चाहिए, लेकिन व्यापारी होने के नाते यह बात सिर्फ हम पर थोपी न जाए कि हमें चीन के साथ व्यापार बंद कर देना चाहिए, क्योंकि यह निर्णय व्यापारी नहीं ले सकता. देश की सरकार ले सकती है. दूसरी बात यह है कि हमारे देश में जो भी इंडस्ट्री हैं, खत्म हो चुकी हैं. क्योंकि हमारे देश में जो सिस्टम है, अगर आज कोई फैक्ट्री लगाता है तो 50 डिपार्टमेंट उसके पास पहुंच जाते हैं. जिसकी वजह से या तो वह अपनी फैक्ट्री पर ध्यान दे या फिर डिपार्टमेंट के सवालों का जवाब देते रहें. अगर हमें चीन का बायकॉट करना है तो पहले अपने देश में ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे कि बिजनेस आसान हो सके और ऐसा तरीके लागू किए जाएं जिससे यहां पर बगैर किसी टेंशन के उद्योग व्यापार हो सके."
राकेश यादव ने आगे कहा, "एक अहम बात यह भी है कि हम जैसे छोटे व्यापारियों पर तो एक भावनात्मक दबाव बनाया जा रहा है कि हम इनके साथ व्यापार को बंद करें लेकिन सत्य यह भी है कि जितने भी बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं जो विदेशी ब्रांड हैं वह भी आज चीन से मैन्युफैक्चरिंग करवा कर अपनी ब्रांडिंग करके भारत में सामान बेच रहे हैं तो यह दोहरी नीति भी बंद होनी चाहिए. तब जाकर सही मायनों में चीन का बायकॉट होगा जो भी उद्योग हैं वह हमारे भारत में विकसित होने चाहिए लगने चाहिए जिससे कि यहीं के लोगों को रोजगार मिले और यहां का व्यापार बढ़े."
स्वर्ण सिंह, महासचिव, आल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन ने क्या कहा?
वहीं स्वर्ण सिंह ने कहा, "पिछले कुछ दिनों से हमारे देश में जिस तरह का माहौल चल रहा है और बॉयकॉट चीन का जो नारा दिया जा रहा है वह महज नूरा कुश्ती और खोखली राजनीति है, क्योंकि कोई भी व्यापारी अपने स्तर पर यह व्यापार खत्म नहीं कर सकता.जितनी भी बड़ी-बड़ी कंपनियां है, सारी मैन्युफैक्चरिंग चीन से करवा रही हैं और फिर लेबलिंग करके उसे इंडिया में बेच रही हैं. कंप्यूटर मार्केट में जितना भी हार्डवेयर है, वह अधिकतर चीन से ही आता है. ऐसे में हम व्यापार कैसे बंद कर सकते हैं. गलवान घाटी में जो हुआ है, जिस तरीके से हमारे जवान शहीद हुए हैं, उसको लेकर हम अपने देश की सरकार और देश की सेना के साथ हैं. हम चाहते हैं कि चीन को कड़ा जवाब मिलना चाहिए, लेकिन जिस तरह से बॉयकॉट चीन का नारा दिया जा रहा है, वह व्यापारियों पर न थोपा जाए. हमारी देश की सरकार कोई ठोस कदम उठाती है, तो हम व्यापारी होने के नाते अपने देश की सरकार के साथ हैं."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "आज देश में बहुमत की सरकार है. चाहे तो ठोस निर्णय ले सकती है. जैसे आज एक छोटा सा कदम उठाया गया है, कुछ चीन की बनी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को बैन करने का निर्देश दिया गया है. हम इस आदेश का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार हमारे देश में ही इंडस्ट्री हब बनाएं ताकि जो आत्मनिर्भरता की बात है, वह भी पूरी हो सके. लेकिन जिस तरीके से व्यापारिक संगठन या व्यापारिक नेता देश में माहौल बना रहे हैं, वह दिखावा मात्र है."