काठमांडू: दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ते पर्वतारोहियों की तस्वीरें काफी वायरल हैं. इन तस्वीरों में यहां काफी लोग एक साथ चोटी पर चढ़ते दिखाई दे रहे हैं. इसमें भीड़ इतनी है कि यहां जाम सा दृश्य दिख रहा है. दरअसल, इस साल मार्च महीने के बाद शुरू हुए पर्वतारोहण के लिए नेपाल सरकार ने 381 लोगों को परमिट जारी किया है. ये पर्वतारोही, तेंजिंग नोर्गे और एडमंड हिलरी जिन्होंने सबसे पहले 1953 में 29 मई के दिन एवरेस्ट के सबसे ऊंची चोटी की चढ़ाई की थी के सालगिरह के मौके पर एवरेस्ट पर चढ़कर उनके हौसले को सलाम करना चाहते हैं.


इसी कारण एक साथ इतने लोग माउंट एवरेस्ट पर जा रहे हैं. कुछ लोगों 29 मई को शिखर पर पहुंच गए. कुछ अभी भी रास्ते में हैं. यही कारण है कि 8,848 मीटर ऊंटे माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करते रास्ते में पर्वतारोहियों की संख्या अधिक हो गई है जिससे यहां जाम सा दृश्य दिख रहा है.


11 पर्वतारोहियों की जा चुकी है जान


माउंट एवरेस्ट फतह करने जाने वाले लोगों में इस साल अब तक 11 लोगों की जान जा चुकी है. इसमें 4 भारतीय हैं. जानकारों का मानना है कि एवरेस्ट पर बढ़ती भीड़ के कारण लोगों की जानें जा रही हैं. यहां भीड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छोटे सी जगह पर 10-15 पर्वतारोहियों को खड़े होना पड़ रहा है.


नेपाल ने क्या कहा है


एवरेस्ट फतह करने जाने वाले पर्वतारोहियों की मौत का एकमात्र कारण भीड़ को मानने से नेपाल सरकार ने इनकार कर दिया है. नेपाल ने विपरीत मौसम और उच्च दबाव को मौत के पीछे का कारण बताया है.


तेंजिंग नोर्गे और एडमंड हिलरी एवरेस्ट पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति


बता दें कि एवरेस्ट के सबसे ऊंपरी शिखर तक की चढ़ाई तेंजिंग नोर्गे और एडमंड हिलरी ने साल 29 मई, 1953 में की थी. ये दोनों ब्रिटेन के पर्वतारोही दल के सदस्य थे. तेंजिंग नोर्गे तिब्बती नेपाली और एडमंड हिलरी न्यूजीलैंड की रहने वाली थीं जो कि उस समय ब्रिटेन का उपनिवेश था.


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