Tragedies India Face in 75 Years of Independence: भारत (India) स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. आजादी (Freedom) के इन 75 वर्षों में भारत ने कई बार संकट (Tragedies) का समय देखा है और उससे उबरा भी है. आज लाल किले (Red Fort) की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अगले 25 वर्षों की रुपरेखा भी पेश कर दी है. आइये जानते हैं कि भारत इन वर्षों में युद्ध (Wars), आतंकवाद (Terrorism) और अन्न संकट (Food Crisis) समेत किन समस्याओं से निपटा है.


आजादी के 75 वर्षों में भारत अब तक चार बार पाकिस्तान और एक बार चीन से युद्ध लड़ चुका है. आजादी के एक साल बाद ही कबीलाई लड़ाकों और पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया था. भारत ने इसका डटकर सामना किया और 441 दिनों की लड़ाई में पाकिस्तान को शिकस्त दे दी थी. इसमें भारत के 1104 जवान शहीद हो गए थे और 3154 जवान घायल हुए थे, जबकि पाकिस्तान 6000 सैनिक मारे गए थे और 14000 घायल हुए थे.


भारत-चीन युद्ध


1962 में चीन से भारत का युद्ध हुआ था. इसमें भारत को काफी नुकसान हुआ था. युद्ध 32 दिनों तक चला था. भारत के 1383 सैनिक शहीद हो गए थे और एक हजार से ज्यादा जवान घायल हुए थे. वहीं, चीन के 722 सैनिक मारे गए थे और 1697 जवान घायल हुए थे. 


भारत अभी चीन के साथ हुई जंग से उबरा ही था कि 1965 में पाकिस्तान के साथ फिर से युद्ध छिड़ गया. लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे. उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को 50 दिनों तक चले युद्ध में पटखनी दे दी थी. युद्ध में भारत के तीन हजार जवान शहीद हो गए थे और पाकिस्तान के 3800 सैनिक मारे गए थे.


1971 में पाकिस्तान के साथ एक बार फिर जंग छिड़ गई थी. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने 13 दिन में पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी थी. इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान एक नया देश बांग्लादेश बना. इस युद्ध में भारत के कितने सैनिक शहीद हुए थे, इसका सटीक आंकड़ा सामने नहीं आया था लेकिन कहा गया कि 2500-3843 जवान शहीद हो गए थे और 9851-12000 सैनिक घायल हुए थे. वहीं, पाकिस्तान के 9000 जवानों की मौत हुई थी और 25 हजार पाकिस्तानी सैनिक घायल हुए थे. 


कारगिल युद्ध


1999 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पाकिस्तान के साथ कारगिल का युद्ध छिड़ गया था. पाकिस्तानी सेना और आतंकियों ने कश्मीर के कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमा लिया था. भारतीय थलसेना और वायुसेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और 85 दिनों तक चले युद्ध में उसे पटखनी देकर अपनी जमीन को कब्जे से मुक्त करा लिया था. इस युद्ध में भारत के 547 जवान शहीद हो गए थे और 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हो गए थे. वहीं, पाकिस्तान के लगभग 1200 सैनिक मारे गए थे और उसके एक हजार से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे. 


पाकिस्तान जब से भारत से अलग हुआ है, तभी से वह अघोषित संघर्ष में है. वह कैसे भी करके भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिशों में लगा रहता है. भारतीय सेना अब तक न जाने कितने ही आतंकवादियों को ढेर कर चुकी है. भारत ने आजादी के इन वर्षों में कई बड़े आतंकी हमलों का सामना किया है, जिनके पीछे पाकिस्तान का हाथ रहा है. कुछ बड़े आतंकी हमलों का जिक्र यहां किया जा रहा है.


भारत में अब तक बड़े आतंकी हमले


2 मार्च 1993 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल गई थी. शहर में 12 जगहों पर बम धमाके हुए थे. धमाकों की वजह से 257 लोगों की जानें चली गई थीं और 713 लोग घायल हुए थे. हमलों के दोषी आतंकी याकूब मेनन को फांसी की सजा दी गई थी. 


13 दिसंबर 2001 को दिल्ली स्थित भारत के संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था. पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया था. आतंकी संसद के अंदर सांसदों को बंधक बनाकर अपनी मांगें मनवाने की फिराक में थे लेकिन उनकी नापाक करतूत का जवाब देते हुए भारतीय जवानों ने उन्हें ढेर कर दिया था. इस हमले में दिल्ली पुलिस के छह सिपाही, संसद भवन के दो कर्मी शहीद हो गए थे और एक संसद परिसर में काम करने वाले एक माली की जान चली गई थी. 


26/11 मुंबई हमला


26 नवंबर 2008 को पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकी समंदर के रास्ते मुंबई के घुस गए थे. आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल, ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस में हमला कर दिया था. सुरक्षाबलों ने लंबे चले एनकाउंटर में आतंकियों को मार गिराया था और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया था, जिसे बाद में लंबे ट्रायल के बाद फांसी दे दी गई थी. इस आतंकी हमले में 164 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी और 308 लोग घायल हुए थे. 


1998 में वेलेंटाइन डे के दिन कोयंबटूर में अलग-अलग जगहों पर 12 बम धमाके हुए थे, जिनमें 60 लोगों की जानें चली गई थीं और 200 लोग घायल हुए थे. 


1 अक्टूबर 2001 में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा पर जैश के आतंकियों ने हमला कर दिया था. तीन आत्मघाती आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया था, जिसमें तीनों आतंकी तो मारे ही गए थे और 38  लोगों की जानें चली गई थीं. 


24 सितंबर 2002 अहमदाबाद के अक्षरधाम मंदिर में जैश और लश्कर के आतंकियों ने हमला कर दिया था, इसमें 31 लोगों की मौत हो गई थी और 80 लोग घायल हुए थे.


29 अक्टूबर 2005 को दिवाली से पहले राजधानी दिल्ली सीरियल बम धमाकों से दहल गई थी. पहाड़गंज, सरोजनी नगर और गोविंदपुरी इलाकों में बम धमाके हुए थे, जिनमें 63 लोगों की मौत हो गई थी और 210 लोग घायल हुए थे. 


11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों अलग-अलग सात बम धमाके हुए थे. प्रेशर कुकर के अंदर बम रखे गए थे. धमाकों की वजह से 210 लोगों की मौत हो गई थी और 715 लोग घायल हो गए थे. 


13 मई 2008 को जयपुर 15 मिनट के भीतर नौ बम धमाके हुए थे, इनमें 63 लोगों की जान चली गई थी और 210 लोग घायल हुए थे.


30 अक्टूबर 2008 को असम में सीरियम बम धमाके हुए थे. गुवाहाटी में 18 धमाकों में 81 लोगों की मौत हो गई थी और 470 लोग घायल हुए थे. 


2016 उरी हमला


18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में पीओके के पास भारतीय सेना के एक स्थानीय मुख्यालय में सुबह तड़के चार आतंकियों ने सो रहे भारतीय सेना के जवानों पर हमला कर दिया था. आतंकियों ने भारी गोलीबारी और हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया था. करीह छह घंटे चली जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना के जवानों ने चारों आतंकियों को मार गिराया था और भारी गोला-बारूद बरामद किया था. इस हमले के जवाब में दस दिन बाद ही भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी और आतंकियों के ठिकाने तहस-नहस कर दिए थे.


14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले को भारी विस्फोटक से लदी एक गाड़ी ने टक्कर मार दी थी. धमाके में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम आया था. कहा गया था कि जैश सरगना मसूद अजहर के इशारे पर यह आतंकी हमला किया गया था. हमले के 12 दिनों के भीतर ही भारत ने पाकिस्तान को एयरस्ट्राइक के जरिये करार जवाब दिया था. 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमानों ने ग्वालियर बेस से उड़ान भरकर पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के आतंकी शिविर पर बम बरसाकर उसे ध्वस्त कर दिया था. भारत की ओर से इस हवाई कार्रवाई में भारतीय पायलट विंग कमांडर अभिनंदन भी शामिल थे, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पाक सैनिकों की गिरफ्त में आ गए थे, बाद में भारत के दबाव के आगे पाकिस्तान को उन्हें छोड़ना पड़ा था. 


भारत का अन्न संकट


1965 में पाकिस्तान को जंग में पटखनी देकर भारत अन्न संकट से घिर गया था. लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे. अमेरिका ने शर्तों के साथ भारत को अनाज देने की पेशकश की थी, जिसे पूर्व पीएम शास्त्री ने नामंजूर कर दिया था. उनका मानना था कि अमेरिकी शर्त मानने से स्वाभिमान खत्म हो जाएगा. देश के नाजुक हालात के दौरान पूर्व पीएम शास्त्र ने अपनी तनख्वाह लेना बंद कर दिया था. वह अपने घर के काम खुद करने लगे थे. इसी के साथ उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें. देशवासियों में उनकी अपील का असर देखा गया था.


भारत का आपातकाल


25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक भारत में आपातकाल लगा था. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा देश में कर दी थी. आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे और राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया था. कैद किए गए लोगों मे जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे. प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस दौरान इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के कहने पर व्यापक पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया था. 


कोरोना महामारी


दिसंबर 2019 में नोवल कोरोना वायरस का पहला मामला चीन में सामने आया और धीरे-धीरे इतने लगभग पूरी दुनिया को अपनी जकड़ में ले लिया. भारत में भी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला. इसे वायरल को वैश्विक महामारी घोषित किया गया. दुनिया के कई देशों की तरह भारत में महीनों तक दो बार लंबा लॉकडाउन इस महामारी के कारण रहा. महामारी से निपटने के भारत के प्रयासों की सराहना दुनियाभर में हुई. भारत में अब तक कुल  4,42,68,381 कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें फिलहाल 1,17,508 मरीज सक्रिय बताए जा रहे हैं. वहीं, अब तक इस बीमारी से  5,27,069 लोग जान गंवा चुके हैं.


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