Pune Moti Elephant: जिंदगी के लिए हर रोज संघर्ष करने वाले मोती हाथी ने आखिरकार दम तोड़ दिया. उसकी जिंदगी बचाने के लिए न तो दवा काम आई और न दुआ. दर्द से तड़पते हुए मोती ने बीते कल यानि शनिवार (18 फरवरी) को अपनी आखिरी सांस ली. उसकी मौत से देखरेख कर रहे लोग काफी दुखी हैं. तो वहीं, जानवरों के डॉक्टर्स के एक पैनल ने उसका पोस्टमार्टम किया.


मोती को हाल ही में उत्तराखंड के रामपुर में रेस्क्यू करके लाया गया था. जिंदा रहते मोती कुछ पैसों के लिए लोगों को अपनी पीठ पर ढोता रहा, लेकिन उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी. मोती का पैर फ्रैक्चर हो गया था. मोती को जनवरी 2023 में वाइल्डलाइफ SOS ने बेहद कमजोर हालत में पाया था और उसके पैर से खुर अलग हो गया था. जिसके बाद से मोती दर्द से तड़प रहा था. भारतीय सेना और वाइल्डलाइफ एसओएस के लोगों ने उसकी जान बचाने के भरसक प्रयास किए लेकिन सफलता नहीं मिली.


वाइल्डलाइफ SOS ने शुरू किया सुरक्षा अभियान


मोती हाथी की मौत के बाद वाइल्डलाइफ एसओएस ऑनलाइन याचिका अभियान शुरू किया है. जिसके तहत पर्यावरण मंत्री, प्रोजेक्ट मैनेजर और वाइल्डलाइफ के एडीजी को कैद में बंद हाथियों की सुरक्षा के लिए एक्शन लेने की बात कही गई है. तो वहीं, दि प्रिंट की खबर के मुताबिक, वन्यजीव कल्याण संस्थान वाइल्डलाइफ एसओएस वन्यजीव के डॉक्टर ई गोचलान ने बताया कि मोती कुपोषित हो चुका था. उसके शरीर में पानी की कमी भी हो गई थी. उसका आगे के हिस्से का दाहिना पैर बहुत फूल गया था. इसके अलावा, आगे के बाएं पैर से खुर भी अलग हो गया था.


... और दफना दिया गया मोती


7 फरवरी को सेना ने लोहे का ढांचा तैयार कर किसी तरह हाथी को खड़ा तो कर दिया था लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली गई. तीसरे दिन ही वह फिर से निढाल होकर गिर गया था. उसके बाद से फिर वह उठ नहीं पाया. शनिवार सुबह 9 बजे उसने दम तोड़ दिया. सीटीआर के वरिष्ठ वन्य जीव चिकित्सक दुष्यंत शर्मा, पशु चिकित्सक हिमांशु पांगती और आयुष उनियाल ने उसके शव का पोस्टमार्टम किया. इसके बाद उसे उसी जमीन पर जेसीबी से गड्ढा खोदकर दफना दिया गया.


ये भी पढ़ें: Uttarakhand News: 15 दिन से खड़े नहीं हो पा रहे हाथी की मदद करेगी सेना, रुड़की से 35 जवान रवाना