जल्द ही फेस्टिव सीजन शुरू होने वाला है. एक-डेढ़ महीने तक ये जारी रहेगा. दशहरा, दिवाली व छठ पूजा के समय खासकर ट्रेनों में अभी से सारी सीटें फुल हो गई हैं. लोग परेशान हैं आखिर करें तो करें क्या. हर बार रेलवे की तरफ से फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन चलाई जाती है उसके बाद भी बहुत से लोगों को टिकट नहीं मिल पाता है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने परेशानी और बढ़ा दी है.


दशहरा और दीपावली में घर जाने वाले हैं परेशान
दिल्ली और मुंबई में रह रहे यूपी, बिहार पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित तमाम राज्यों के लोग दशहरा और दीपावली के मौके पर घर जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें किसी भी ट्रेन में जगह नहीं मिल रही है.


ट्रेनों में नो रूम की स्थिति
इस बार 25 अक्टूबर को दशहरा है, 14 नवंबर को दिवाली और 20 को छठ पूजा है. लेकिन अभी से ट्रेनों में नो रूम की स्थिति आ गई है. दिल्ली से आने वाली स्पेशल ट्रेनों में 15 से 18 नवंबर तक नो रूम है.


कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते नियमित ट्रेनें 12 अगस्त तक निरस्त हैं और कबतक शुरू होंगी इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. हालांकि सरकार की तरफ से अनलॉक में रेल और हवाई सेवाओं की गति बढ़ाने की बात कही जा चुकी है. बात करें स्पेशल ट्रेनों की तो स्पेशल ट्रेनें एक जून से चल रही हैं.


वेटिंग टिकट भी कंफर्म होने की उम्मीद नहीं


वैशाली सुपरफास्ट, आम्रपाली एक्सप्रेस, शहीद एक्सप्रेस, भागलपुर गरीबरथ, बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, सीमांचल एक्सप्रेस, विक्रमशिला एक्सप्रेस, महानंदा एक्सप्रेस, श्रमजीवी एक्सप्रेस, फरक्का एक्सप्रेस, जयनगर गरीबरथ जैसी ट्रेनों में भी जगह नहीं है. इन ट्रेनों में भी लंबी वेटिंग लिस्ट है और कंफर्म होने की उम्मीद बहुत कम है.


ब्रेक जर्नी, बस या फ्लाइट हो सकती है ऑप्शन


त्योहारों में घर जाने के लिए ब्रेक जर्नी, बस या फ्लाइट सर्विस अच्छा ऑप्शन साबित हो सकती है. ब्रेक जर्नी में ट्रेनों में सीट मिलने की उम्मीद रहती है. वहीं बस का विकल्प भी चुना जा सकता है जिसकी बुकिंग 2-3 महीने पहले शुरू हो जाती है. फ्लाइट में भी आसानी से टिकट बुक की जा सकती है. ये जितना जल्दी कर लें उतना अच्छा रहता है क्योंकि इनका किराया बढ़ता रहता है.


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