Transgender Identity: केंद्र सरकार ने पैन कार्ड एप्लीकेशन के लिए ट्रांसजेंडर पर्सन्स एक्ट 2019 के तहत जारी पहचान प्रमाण पत्र (आइडेंटिटी कार्ड) को वैधता दे दी है. केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट यह जानकारी दी है. ऐसे में अब ट्रांसजेंडर अपने जेंडर आईडी कार्ड से पैन कार्ड के लिए अप्लाई कर सकेंगे. इससे हर ट्रांसजेंडर को पैन और आधार लिंक करवाने में आसानी होगी.


दरअसल,  केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ‘ट्रांसजेंडर जन (अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019’ द्वारा जारी ‘पहचान प्रमाणपत्र’ को पैन कार्ड के आवेदन के लिए वैध दस्तावेज माना जाएगा. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.


केंद्र सरकार ने ट्रांसजेंडर्स की सभी मांगें मानी


सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने कहा कि भारत सरकार ने सैद्धांतिक रूप से इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और केंद्र सरकार स्पष्टता लाने के लिए इसे नियमों में और आदेश में शामिल करने पर विचार कर सकती है. पीठ ने कहा कि कुल मिलाकर वर्तमान याचिका में उठाई गई सभी मांगों को स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें यह मांग भी शामिल है कि प्रमाण पत्र जारी किया जाए.


अब ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट 2019 की धारा 6 और 7 के तहत जारी किया जाने वाला सर्टिफिकेट मंजूर होगा. यह जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी किया जाता है.


रेशमा ने PAN कार्ड में थर्ड जेंडर कैटेगरी की मांग की थी


वहीं, सुप्रीम कोर्ट एक ट्रांसजेंडर द्वारा दायर 2018 की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बिहार की सामाजिक कार्यकर्ता ट्रांसजेंडर रेशमा प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार से पैन कार्ड पर एक अलग थर्ड जेंडर कैटेगरी ऑप्शन देने की मांग की थी. ताकि ट्रांसजेंडर इसे आधार कार्ड से लिंक करके सटीक पहचान प्रमाण पत्र बना सकें. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वह पैन को आधार से लिंक नहीं करवा पा रही हैं, क्योंकि पैन कार्ड में आधार कार्ड के विपरीत कोई 'तीसरे लिंग' का विकल्प नहीं है.


सोशल एक्टिविस्ट रेशमा ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने 2012 में पुरुष लिंग पहचान कैटेगरी का चयन करते हुए पैन के लिए आवेदन किया था. हालांकि, साल 2015-16 और 2016-2017 का टैक्स रिटर्न पुरुष कैटेगरी में किया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आधार सिस्टम में थर्ड जेंडर कैटेगरी को भी शामिल किया गया.


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