तिवरंतपुरम: केरल में मंदिरों का रखरखाव और ध्यान रखने वाली संस्था त्रावनकोर देवस्वाम बोर्ड ने मंदिरों के पुजारियों का चयन आरक्षण की प्रक्रिया के तहत किया है. त्रावनकोर देवस्वाम बोर्ड ने कुल 36 एससी और बैकवर्ड क्लास के लोगों की नियुक्ति मंदिर में पूजा करने के लिए की है. गुरूवार को त्रावनकोर बोर्ड ने कुल 62 लोगों की लिस्ट जारी की है जिनका चयन टेस्ट और इंटरव्यू के आधार पर लिया गया है.


बोर्ड के अध्यक्ष राजगोपालन नायर ने कहा कि यह पहला मौका है जब मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति के लिए आरक्षण की प्रक्रिया को अपनाया गया है. उन्होंने कहा, "हमने कुछ दिनों पहले बैकवर्ड क्लास के कुछ पुजारियों की नियुक्ति की थी जिन्होंने मेरिट के जरिए इस बार चयन प्रक्रिया का निर्धारण किया. त्रावनकोर देवस्वाम बोर्ड की स्थापना 1949 में हुई थी और पुजारियों के लिए एस सी और ओबीसी के चयन की मांग दशकों से हो रही थी लेकिन इसके काफी विरोध के कारण ऐसा करना संभव नहीं हो सका था लेकिन आज हम ऐसा संभव कर सके हैं.''


नायर के अनुसार लोक सेवा आयोग की प्रक्रिया के तहत ही पुजारियों की नियुक्ति की गई है. अभी ये नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ त्रावनकोर बोर्ड के लिए की गई है लेकिन भविष्य में कोचीन और मालाबार बोर्ड के लिए भी पुजारियों की नियुक्ति भी इसी प्रक्रिया के तहत की जाएगी.


त्रावनकोर बोर्ड के प्रेसिडेंट ने भी निर्णय की सराहना की और कहा कि पुजारियों के तौर पर दलितों और बैकवर्ड क्लास की नियुक्ति बेहद जरूरी थी और नियुक्ति बोर्ड ने जिन लोगों का चयन किया है उन्हीं की नियुक्ति की जाएगी.


गोपालकृष्णन ने सबरीमाला अयप्पा टेंपल के बारे में भी बात की जिसमें दलित पुजारी की नियुक्ति का मामला हाइकोर्ट में है. गोपालकृष्णन के अनुसार पुराने नियमों के अनुसार वहां सिर्फ ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति की जा सकती है ऐसे में हाइकोर्ट के निर्णय अनुसार वहां नियुक्ति पर फैसला लिया जाएगा.