नई दिल्लीः दिल्ली में गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को अभी भी इलाज नहीं मिल पा रहा है. अस्पताल बिना कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट देखे मरीजों का इलाज करने को तैयार नहीं हैं, भले ही मरीज कितनी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित क्यों ना हो.
हालांकि केंद्र सरकार अपने निर्देश में साफ कर चुकी है कि किसी भी मरीज को सिर्फ इस आधार पर इलाज देने से मना नहीं किया जाना चाहिए कि पहले वह कोरोना जांच की रिपोर्ट लेकर आए, लेकिन आज भी अस्पताल कोरोना जांच रिपोर्ट मांग रहे हैं.
29 साल की हिना को मुंह का कैंसर है. दिनों दिन हालत बिगड़ती जा रही है. कुछ भी खाना पीना मुश्किल हो गया है. जीभ और गले का हिस्सा गल रहा है, लेकिन अस्पताल इलाज देने को तैयार नहीं. हिना के परिवार वाले उसको दिल्ली के सरकारी अस्पताल दिल्ली कैंसर इंस्टिट्यूट में लेकर गए. लेकिन अस्पताल ने यह कहते हुए इलाज देने से मना कर दिया कि पहले कोरोना संक्रमण की जांच रिपोर्ट लेकर आओ और उस रिपोर्ट के आने के बाद ही जांच की जाएगी.
हिना की मां के मुताबिक हिना की 27 मई को जो रिपोर्ट आई उससे पता चला कि हिना के मुंह में कैंसर है. जिसके बाद वह दिल्ली के सरकारी अस्पताल दिल्ली कैंसर इंस्टिट्यूट में इलाज करवाने के लिए पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उनको यह कहते हुए इलाज देने से मना कर दिया गया कि बिना कोरोना की जांच रिपोर्ट को देखे इलाज मुमकिन नहीं है और 17 जून को वापस आने को कहा गया. इस निर्देश के साथ कि कोरोना संक्रमण की जांच रिपोर्ट साथ लेकर आएं.
हालांकि इस बाबत हिना के परिवार ने स्थानीय विधायक गोपाल राय से भी मदद मांगी. गोपाल राय के दफ्तर से चिट्ठी भी जारी हुई, लेकिन अस्पताल वालों ने उसको भी मानने से इनकार कर दिया और साफ कह दिया कि बिना कोरोना जांच रिपोर्ट देखे इलाज मुमकिन नहीं है.
यानी कुल मिलाकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने दिशा-निर्देश जरूर जारी कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी उनका पालन नहीं हो रहा और उसकी वजह से परेशानी का सामना कर रहे हैं, वह लोग जो कोरोना के अलावा भी बाकी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं.
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