नई दिल्लीः पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी कैंपों में ट्रेंड जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी, हमलों को अंजाम देने के लिए जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करने में चार मुख्य रास्तों का इस्तेमाल करते थे. गौरतलब है कि बालाकोट स्थित आतंकी कैंपों पर भारतीय वायुसेना ने मंगलवार तड़के बम गिराए थे. एहतियाती कदम उठाते हुए यह कार्रवाई की गई थी.


पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की नीलम घाटी में स्थित केल का इस्तेमाल उन आतंकवादियों के ‘लॉंचिंग प्वाइंट’ (प्रक्षेपण स्थल) के रूप में किया जाता था जो जम्मू कश्मीर में घुसपैठ किया करते थे.


एक सिक्योरिटी ऑफिसर ने बताया कि भारत में घुसने के लिए जैश के आतंकी घुसपैठ के जिन रास्तों का अक्सर इस्तेमाल करते थे उनमें कुपवाड़ा जिले में बालाकोट - केल - दूधनियाल, कुपवाड़ा के मगाम जंगल में बालाकोट - केल - कैंथावली, कुपवाड़ा में बालाकोट - लोलाब और कुपवाड़ा में बालाकोट - केल- काचमा - क्रालपोरा शामिल थे.


जैश के आतंकी कई अलग-अलग तरह के ट्रेनिंग कोर्स पूरे करते थे, जैसे कि तीन महीने का एडवांस कॉम्बैट कोर्स (दौरा ए खास), एडवांस आर्म्ड ट्रेनिंग कोर्स (दौरा अल राद) और रिफ्रेशर कोर्स. बालाकोट में आतंकवादियों को एके 47, पीका, एलएमजी, रॉकेट लॉंचर, यूबीजीएल और ग्रेनेड जैसे हथियार चलाना सिखाया जाता था. शक है कि यह शिविर मदरसा आयेशा सादिक की आड़ में चल रहा था.


अधिकारी ने बताया कि हथियारों के संचालन में बुनियादी प्रशिक्षण के अलावा आतंकवादियों को जंगल में जीवित रहने, घात लगा कर हमला करने, संचार, जीपीएस, नक्शा पढ़ना आदि की भी जानकारी दी जाती थी. इन आतंकवादियों को तैराकी, तलावरबाजी और घुड़सवारी का भी प्रशिक्षण दिया जाता था.


एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान इंडियन एयरलाइंस की उड़ान (आई सी - 814) को अगवा कर जैश द्वारा कंधार ले जाए जाने की घटना जैसा वीडियो दिखा कर आतंकियों को कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया जाता था. उन्हें मुसलमानों के खिलाफ कथित अत्याचार, गोधरा बाद के दंगों पर ‘हां मैंने देखा है गुजरात का मंजर’ नाम का वीडियो और बाबरी मस्जिद ढहाने जाने से जुड़े भाषणों का वीडियो दिखाया जाता था.


खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कुन्हार नदी के तट पर स्थित शिविर का इस्तेमाल एक अन्य आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन भी करता था. सूत्रों ने बताया कि शिविर में कम से कम 325 आतंकवादी और 25 से 27 प्रशिक्षक मौजूद थे. जैश का यह सबसे बड़ा शिविर था. जैश ने ही 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थ. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. सूत्रों ने बताया कि शिविर में वहां रहने वालों को नदी में भी ट्रेनिंग दी जाती थी.


सूत्रों ने बताया कि बालाकोट कस्बे से करीब 20 किमी दूर यह जैश और अन्य आतंकी संगठनों का एक अहम प्रशिक्षण केंद्र था. वहां नये लड़ाकों को प्रशिक्षण देने के लिए कई भवन थ. जैश के संस्थापक और आतंकी सरगना मसूद अजहर और अन्य आतंकवादी नेताओं ने कई मौकों पर वहां कई भड़काऊ भाषण दिए थे.


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