(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Elections 2024: इन आदिवासी नेताओं ने बढ़ा दी बीजेपी की टेंशन, बोले- हम लोकसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ करेंगे प्रचार
Tribal Leaders Warns BJP: लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी बीजेपी को गोवा में झटका लग सकता है. आरक्षण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे आदिवासी नेताओं ने पार्टी का विरोध करने का ऐलान किया.
Panaji Tribal Leaders: लोकसभा चुनाव 2024 में जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने लिए 370 प्लस सीटें जीतने का टारगेट रखा है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के सामने कुछ मुश्किलें भी सामने आ रही हैं. दरअसल, गोवा में आदिवासी नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ प्रचार करने की घोषणा की है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आरक्षण देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे आदिवासी नेताओं ने रविवार (10 मार्च) को भूख हड़ताल तो वापस ले ली लेकिन चेतावनी दी कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ काम करेंगे.
‘बीजेपी के खिलाफ करेंगे काम’
समुदाय के सदस्य जीएकेयूवीईडी (गौड़ा, कुनबी, वेलिप, डांगेर) के बैनर तले आदिवासी नेता छह मार्च से पणजी में भूख हड़ताल पर बैठे थे. पत्रकारों से बात करते हुए एक नेता रूपेश वेलिप ने कहा कि वे हड़ताल वापस ले रहे हैं लेकिन आगामी चुनावों में बीजेपी के खिलाफ काम करेंगे. वेलिप ने कहा, 'विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि गोवा के 300 से अधिक गांवों में आदिवासी समुदाय को बताया जाएगा कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में कैसे विफल रही है.'
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा में अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण के संबंध में अधिसूचना जारी करने में विफल रहती है तो समुदाय सत्तारूढ़ दल का 'चुनावी नुकसान' सुनिश्चित करेगा.
सीएम सावंत ने क्या कहा?
वहीं, केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को 'अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक, 2024' को अपनी मंजूरी दे दी, जो जनगणना आयुक्त को गोवा में एसटी की आबादी को अधिसूचित करने का अधिकार देगा. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा था कि इससे 2027 के राज्य चुनावों से पहले विधान सभा में राजनीतिक आरक्षण का रास्ता साफ होगा.
इस पर वेलिप ने आरोप लगाया कि केंद्र का कदम एक "चुनावी रणनीति और सीधी कानूनी प्रक्रिया को कमजोर करना" है. उन्होंने कहा, “प्रस्तावित विधेयक से समय ज्यादा लगेगा, जिसमें संसद की मंजूरी, जनगणना डेटा अधिसूचना और परिसीमन आयोग की कार्यवाही शामिल है.”