TMC On Ambedkar Remarks: लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान डॉ. बी.आर. अंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी ने राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है. टीएमसी नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने शाह के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दाखिल किया है. विपक्ष ने इसे अंबेडकर और उनके संविधान का अपमान करार दिया, जबकि भाजपा ने इसे राजनीतिक एजेंडा बताया. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया था.
अमित शाह ने संविधान के 75 वर्षों पर बहस के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था,"अगर वे भगवान का नाम उतनी बार लेते जितनी बार अंबेडकर का नाम लेते हैं, तो उन्हें सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता" इस बयान के बाद विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया. शाह ने कांग्रेस पर अंबेडकर का नाम वोट बैंक राजनीति के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.
टीएमसी का रुख
टीएमसी नेता ने राज्यसभा के नियम 187 के तहत नोटिस दाखिल किया. नोटिस में कहा गया है कि अमित शाह की टिप्पणी संसद की गरिमा और संविधान निर्माता अंबेडकर का अपमान है. यह टिप्पणी लोकतंत्र के मूल्यों और सदन के सम्मान के खिलाफ है.वहीं, टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने इस टिप्पणी को "अपमानजनक" बताते हुए कहा कि यह अंबेडकर की विरासत और उनके विचारों का अपमान है.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य विपक्षी नेताओं ने अमित शाह और भाजपा पर तीखा हमला किया. खरगे ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस संविधान को कमजोर करना चाहते हैं और मनुस्मृति लागू करने का प्रयास करते हैं. अंबेडकर का अपमान भाजपा की विचारधारा का हिस्सा है. कई विपक्षी नेताओं ने भी शाह की टिप्पणी को अंबेडकर के विचारों और संविधान का अनादर बताया.
भाजपा का बचाव और पलटवार
भाजपा नेताओं ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस पर पलटवार किया. बीजेपी का कहना है कि अमित शाह ने कांग्रेस के अंबेडकर अपमान के इतिहास को उजागर किया है. विपक्ष अब सच से भागने के लिए नाटक कर रहा है.शाह की टिप्पणी कांग्रेस की राजनीति पर कटाक्ष थी, विपक्ष इसे तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है.