नई दिल्ली: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने दलील दी कि जैसे अयोध्या में भगवान राम का जन्म हिंदुओं की आस्था का विषय है वैसे ही तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का विषय है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी ही नहीं चाहिए, जिस पर कोर्ट ने कहा कि चूंकि हमारे पास कुछ महिलाएं आयी हैं इसलिए हमें सुनवाई करनी ही होगी.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में तीन तलाक की तुलना राम के जन्मस्थान से करते हुए कहा कि 632 ईसवी में पैगंबर के निधन के सिर्फ 5 साल बाद 637 में 3 तलाक की व्यवस्था शुरू हुई. पैगंबर के सहयोगी हज़रत उमर ने इसे मान्यता दी. इसलिए, ये आस्था का विषय है. ठीक वैसे ही जैसे अगर मैं कहूँ कि भगवान राम अयोध्या में पैदा हुए तो ये संविधान का नहीं आस्था का विषय है.
कपिल सिब्बल की दलीलों में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर रहा कि धार्मिक परंपरा से जुड़े मामलों में अदालत को दखल नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा 3 तलाक की परंपरा 1400 साल पुरानी है और सुन्नियों का एक बड़ा वर्ग इसे मान्यता देता है ऐसे में साढ़े 16 करोड़ लोगों से जुड़े सवाल पर अदालत को सुनवाई नहीं करनी चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि हो सकता है ये परंपरा 1400 साल पुरानी हो. 1400 साल बाद कुछ महिलाएं हमारे पास आई हैं. हमें सुनवाई करनी होगी.
सिब्बल ने कहा कि क्या कल को इस बात पर कानून बनाया जा सकता है कि दिगंबर जैन साधु नग्न न घूमें? आखिर किस सीमा तक जाकर कानून बनाएंगे? सिब्बल की दलील पर कोर्ट ने सवाल किया कि "क्या आप ये कहना चाहते हैं कि हमें इस मामले को नहीं सुनना चाहिए?" तो सिब्बल ने कहा- "हां, आपको इसे नहीं सुनना चाहिए."
आस्था की बात करते हुए सिब्बल ने गोरक्षा के नाम पर लोगों के मारे जाने का मुद्दा उठा दिया, जिस पर कोर्ट ने कहा कि "आज के समय की ये एक सच्चाई है. लेकिन जिस मामले को हम सुनने बैठे है, वहां ये उदाहरण उचित नहीं है."
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर 3 तलाक यानी तलाक ए बिद्दत को मान्यता दी गई है तो निकाहनामे में इसे शामिल क्यों नहीं किया जाता. सिब्बल ने जवाब दिया क्योंकि खुद मुसलमान इसे गलत और अवांछित मानते हैं और इसे खत्म करना चाहते हैं लेकिन इसे समुदाय पर छोड़ देना चाहिए
मामले की सुनवाई तेजी से निपटा रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तीन तलाक का समर्थन कर रहे सभी पक्षों से कहा है कि वो कल दोपहर तक अपनी दलीलें पूरी कर लें जिसके बाद तीन तलाक का विरोध करने वाले लोग उनकी बातों का जवाब देंगे, इस रफ्तार से ये उम्मीद की जा रही है कि सप्ताह के अंत तक ये सुनवाई पूरी हो सकती है.