नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में एक झटके में दिए जाने वाले तलाक (तीन तलाक) को अपराध की श्रेणी में लाए जाने संबंधी बिल एक बार फिर आज राज्यसभा में होगा. जहां सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है और शीतकालीन सत्र में खूब हंगामा हो रहा है. विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के कड़े तेवर की वजह से एक दिन भी विधायी कार्य ठीक ढंग से नहीं चल पाए. आज भी सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा हुआ और कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.


कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, एनसीपी, टीएमसी, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, एआईएडीएमके, डीएमके, जेडीएस, वामदल और टीडीपी समेत अन्य विपक्षी पार्टियां बिल के मौजूदा प्रावधानों के खिलाफ है. इन 12 दलों के एक साथ आने से साफ है कि सरकार के लिए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण बिल 2018 पास करवाना टेढ़ी खीर साबित होने वाली है.


विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं ने आज गुलाम नबी आजाद के दफ्तर में बैठक की. सभी पार्टियों के नेता ने एक सुर में कहा कि बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए. सरकार इस मांग पर राजी नहीं है.


मोदी सरकार की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले बिल को कानून अमलीजामा पहना दिया जाए. इसके लिए बीजेपी ने व्हिप जारी कर अपने सभी सदस्यों को सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है. बिल पर आम राय कैसे बने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज बैठक की. बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, नरेंद्र तोमर और विजय गोयल मौजूद हैं.


संसदीय कार्य राज्यमंत्री ने विजय गोयल ने कहा है कि वह विपक्षी दलों के नेताओं के संपर्क में हैं. मंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी दलों खासकर विपक्ष के दलों से संपर्क साधा है और उनसे इस विधेयक को पारित करने में उनका समर्थन मांगा.


क्या कहता है संख्याबल?
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ऊपरी सदन में इस बिल को पेश करेंगे. बिल को गुरुवार को विपक्ष के बायकॉट के बीच लोकसभा से मंजूरी मिली थी. विधेयक के पक्ष में 245 जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े थे.


राज्यसभा में कांग्रेस नीत यूपीए के पास 112 और एनडीए के पास 93 सदस्य हैं. एक सीट खाली है. जबकि बाकी के अन्य दलों के 39 सदस्य हैं. जो न तो एनडीए के साथ हैं और न ही यूपीए के साथ. यानि ये सदस्य विवादित बिल के पारित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.


जो प्रमुख दल विरोध में हैं उनके सदस्यों की संख्या
कांग्रेस- 50, टीएमसी-13, एआईएडीएमके-13, बीएसपी-4, समाजवादी पार्टी-13, सीपीआईएम-5, टीडीपी-6, टीआरएस-6, आरजेडी-5, एनसीपी-4, आईएनएलडी-1, डीएमके-4, जेडीएस-1, इंडियन मुस्लिम लीग-1 और पीडीपी-2.


 



विपक्षी दलों को आपत्ति क्यों?
प्रस्तावित कानून में, एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी ठहराया गया है और ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है. बिल का विरोध कर रहे नेताओं और समाजिक संगठनों का कहना है कि बिल का प्रस्ताव तैयार करते समय मुस्लिम पक्ष की राय नहीं ली गई. पति जेल में होगा तो खर्च कौन देगा? मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह बिल पूरी तरह से शरीयत के खिलाफ है.