नई दिल्ली: राज्यसभा में मोदी सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के बावजूद तीन तलाक बिल को पास करा लिया. जबर्दस्त फ्लोर मैनेजमेंट और विपक्षी दलों के अलग-थलग होने का फायदा सरकार को मिला. बिल 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित हुआ. मोदी सरकार की इस जीत में नवीन पटनायक की पार्टी (बीजेडी) ने वोट कर और एआईएडीएमके ने सदन का वॉकआउट कर अहम भूमिका निभाई. यही नहीं बिल के प्रावधानों का विरोध कर विपक्षी दलों के करीब 20 सांसद अनुपस्थित रहे. जिसमें से पांच कांग्रेस के थे. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने अपने पांच सांसदों से अनुपस्थित रहने के मामले में जवाब मांग सकती है.
विधेयक पर वोटिंग के समय कांग्रेस के पांच सांसद, एनसीपी के दो सांसद (शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल), समाजवादी पार्टी के दो सांसद, आरजेडी के एक सांसद (रामजेठमलानी), टीएमसी के दो सांसद और टीडीपी के एक सांसद वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहे. ये सभी पार्टियां तीन तलाक बिल के खिलाफ हैं. सांसदों की अनुपस्थिति विपक्षी पार्टियों की तैयारियों पर सवाल उठाती है.
कांग्रेस के जो पांच सदस्य व्हिप जारी होने के बावजूद गैर हाजिर रहे उनमें विवेक तनखा, प्रताप सिंह बाजवा, मुकुट मिथी और रंजीब बिस्वाल के अलावा संजय सिंह भी हैं. संजय सिंह ने इससे पहले आज ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
तीन तलाक संबंधित विधेयक पारित करने के पक्ष में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी के सात सदस्यों ने समर्थन दिया. जेडीयू के छह और एआईएडीएमके के 11 सदस्यों के वॉकआउट कर जाने के कारण सदन में बहुमत का आंकड़ा नीचे चला गया जो सामान्य तौर पर 121 रहता है. 242 सदस्यीय उच्च सदन में सत्तारूढ़ एनडीए के 107 हैं.
राज्यसभा में दूसरा मौका है जब सरकार ने राज्यसभा में संख्या बल अपने पक्ष में नहीं होने के बावजूद महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करवाया. इससे पहले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद आरटीआई संशोधन विधेयक को उच्च सदन में पारित करवाने में सरकार सफल रही थी.
राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास, तीन साल की सजा के अलावा ये हैं प्रमुख प्रावधान
कानून बनने के बाद यह विधेयक इस संबंध में 21 फरवरी 2019 को लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा. अब इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी ‘उदघोषणा शून्य और अवैध होगी.’
तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल की सजा होगी. इसमें यह प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए गुजारा भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी. इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा.