‘तीन तलाक’ बिल पर राज्यसभा में 4.30 बजे से शुरू होगी बहस, 4 घंटे समय तय
बता दें कि ये बिल अगर सेलेक्ट कमेटी में चला गया तो संसद के शीतकालीन सत्र में बचे दो दिनों में तीन तलाक के खिलाफ बिल पास नहीं हो पाएगा.
नई दिल्ली: तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में दोपहर 4.30 बजे से बहस शुरू होगी. इस बिल पर करीब चार घंटे बहस होगी. सूत्रों के मुताबिक सरकार बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग पर सहमत हो गई है. बता दें कि कल राज्यसभा में बिल पेश कर दिया था, लेकिन विपक्ष के भारी हंगामे की वजह से चर्चा शुरू नहीं हो सकी.
दरअसल कांग्रेस तीन तलाक बिल के उस हिस्से पर ऐतराज जता रही है, जिसमें पति को तीन साल की जेल होने की बात कही गई है. इसी में संशोधन की मांग को लेकर कांग्रेस ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की वकालत की है. अगर सेलेक्ट कमेटी में बिल चला गया तो संसद के शीतकालीन सत्र में बचे दो दिनों में तीन तलाक के खिलाफ बिल पास नहीं हो पाएगा.
कल केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि जान बूझकर तीन तलाक बिल को लटकाने की कोशिश की जा रही है. आज भी बहुत बड़ी संख्या में तीन तलाक दिया जा रहा है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.’’
रविशंकर प्रसाद ने कल भारी हंगामे के बीच तीन तलाक बिल को सदन में पेश कर दिया. बिल भले पेश हो गया, लेकिन करीब एक घंटे के हंगामे और वार-पलटवार के बीच इस बिल पर चर्चा नहीं हो सकी. कांग्रेस लगातार इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग करती रही.
कांग्रेस की इस मांग को टीएमसी, समाजवादी पार्टी समेत कई छोटी पार्टियों का साथ भी मिल गया. नतीजा ये हुआ कि सिर्फ हंगामा होता रहा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जिस तरह से अचानक बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजने का प्रस्ताव पेश किया उससे सदन आश्चर्य में है. उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव 24 घंटे पहले दिया जाता रहा है और कांग्रेस सदन की परंपरा को तोड़ रही है. जेटली ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दूसरे हाउस में आपने बिल का समर्थन किया था और इस हाउस में आप बिल को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हो.
जेटली ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित कर इसे 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया था. इस सस्पेंशन की अवधि 22 फरवरी को समाप्त हो रही है. जेटली ने कहा कि बिल को सिलेक्ट कमिटी में इसीलिए नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि देश को सदन से उम्मीद है कि वह जल्द इसपर कानून बना देगा.