नई दिल्ली: मंगलवार का दिन देश की संसद के लिए ऐतिहासिक रहा, राज्यसभा में बहुमत ना होने के बावजूद मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल पास करवा लिया. विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है. बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े जबकि खिलाफ में 84 वोट पड़े, वोटिंग के वक्त 183 सांसद ही सदन में मौजूद थे.


इससे पहले बिल को राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी को भेजना का प्रस्ताव 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज हो गया. राज्यसभा में दूसरा मौका है जब सरकार ने राज्यसभा में संख्या बल अपने पक्ष में नहीं होने के बावजूद महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करवाया. इससे पहले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद आरटीआई संशोधन विधेयक को उच्च सदन में पारित करवाने में सरकार सफल रही थी.


तीन तलाक बिल पास होने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत करते हुए कहा कि कुप्रथा को इतिहास के कूड़ेदान में डाला गया है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ''एक पुरातन और मध्यकालीन प्रथा आखिरकार इतिहास के कूड़ेदान तक ही सीमित हो गई है! संसद ने ट्रिपल तालक को समाप्त कर दिया और मुस्लिम महिलाओं के लिए की गई ऐतिहासिक गलती को सही किया. यह जेंडर जस्टिस की जीत है और इससे समाज में समानता आएगी. आज भारत खुश है.''


पीएम ने कहा, ''पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है. आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है. सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है. इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं.''


राज्यसभा में कैसे पास हुआ तीन तलाक बिल
तीन तलाक के खिलाफ राज्यसभा में वोटिंग के दौरान इन खाली कुर्सियों ने मोदी सरकार की राह आसान कर दी.. विपक्ष में सेंध लग गई और मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल पर बहुमत नहीं होने का बाद भी राज्सभा का रोड़ा पार कर लिया. विपक्ष के करीब 20 सांसद वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहे. टीआरएस के 6, टीडीपी के 2 और बीएसपी के 4 सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार कर दिया. लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी बीजेडी ने सरकार का साथ दिया.


तीन तलाक पर कानून का विरोध कर रहे सहयोगी एआईएडीएमके और जेडीयू ने वॉकआउट कर सरकार की मदद की. वहीं शरद पवार, जेठमलानी, प्रफुल्ल पटेल जैसे बड़े नेता भी गैरहाजिर रहे. सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि कांग्रेस पार्टी के भी पांच सांसद गैरहाजिर रहे. कांग्रेस के जो पांच सदस्य व्हिप जारी होने के बावजूद गैर हाजिर रहे उनमें विवेक तन्खा, प्रताप सिंह बाजवा, मुकुट मिथी और रंजीब बिस्वाल के अलावा संजय सिंह भी हैं. संजय सिंह ने कल ही कांग्रेस से इस्तीफा दिया था.


बिल पास होने पर क्या बोले ओवैसी?
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक बिल को 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से ‘मुस्लिम अस्मिता’ पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए. ओवैसी ने आरोप लगाया कि बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है तथा यह उन्हें और अधिक हाशिए पर धकेलेगा. ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा, ''तीन तलाक विधेयक को 2014 से मुस्लिम अस्मिता तथा नागरिकता पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए. भीड़ हिंसा, पुलिस की ज्यादती और बड़े पैमाने पर जेल में डालना हमें नहीं रोक पाएगा. संविधान में हमारा दृढ विश्वास है. हमने अत्याचार, नाइंसाफी और अधिकारों से वंचित किये जाने को सहा है."


बिल बनने से आगे क्या होगा?
तीन तलाक बिल के राज्यसभा से पास होने के बाद राष्ट्रपति इसपर दस्तखत करेंगे और जब तीन तलाक कानून अमल में आ जाएगा. कानून बनने के बाद एक साथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक देना, चिट्ठी से तीन तलाक देना, व्हट्सऐप से तीन तलाक देना, फोन पर तीन तलाक देना और ईमेल से तीन तलाक देना अपराध होगा. इसके लिए पति को अधिकतम 3 साल की सजा होगी, जेल के साथ पति को जुर्माना भी होगा.


तीन तलाक के खिलाफ पीड़ित या परिवार के सदस्य ही दर्ज केस करा सकेंगे. एफआईआर दर्ज होने पर बिना वारंट गिरफ्तारी हो सकेगी, इसके साथ ही आरोपी को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी. पत्नी का पक्ष जानने के बाद मजिस्ट्रेट जमानत देंगे, मजिस्ट्रेट को सुलह कराने का अधिकार भी होगा. तीन तलाक का केस दर्ज होने बाद फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में रहेगा. इसके साथ ही पति को पत्नी और बच्चे के लिए गुजारा भत्ता देना होगा.