लोकसभा में तीन तलाक बिल पास हुआ, JDU, कांग्रेस और TMC के सदस्यों ने किया वॉक आउट
आज लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक को पारित किये जाने के लिये आगे बढ़ाने का विरोध किया और मत विभाजन की मांग की. सदन ने इसे 82 के मुकाबले 303 मतों से अस्वीकार कर दिया . इसके बाद कुछ सदस्यों के संशोधनों को हॉ और 'ना' के माध्यम से अस्वीकार कर दिया गया.
नई दिल्लीः लोकसभा में आज तीन तलाक या 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019' बिल पास हो गया. बिल को ध्वनिमत से पारित किया गया. लोकसभा में तीन तलाक बिल पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस, डीएमके, एसपी और बीएसपी के सदस्यों ने वॉकआउट किया. जेडीयू ने इस बिल का विरोध करते हुए वोटिंग से पहले ही सदन से वॉक आउट किया.
आज सदन में क्या-क्या हुआ तीन तलाक को बैन करने वाले विधेयक पर विपक्ष की आशंकाओं को बेकार बताते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक को पैगम्बर मोहम्मद ने गलत बताया और 20 इस्लामी देशों में यह बैन है. उन्होंने कहा कि ऐसे चलन को कोई जायज नहीं ठहरा सकता. ऐसे में नारी सम्मान और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए.
रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक को सियासी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए . यह इंसाफ से जुड़ा विषय है. इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है. ‘यह इंसानियत, इंसाफ और मानवता से जुड़ा विषय है.’ उन्होंने एक पुस्तक के कुछ अंशों के बारे में बताते हुए कहा कि पैगम्बर मोहम्मद ने तीन तलाक पर इतनी बंदिश रखी. उन्होंने कहा कि जब यह गलत है, तब इसे कैसे जायज ठहराया जा सकता है . प्रसाद ने कहा कि 20 इस्लामी देशों ने इस प्रथा को नियंत्रित किया है, इसे निषेध किया गया है . इनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, जार्डन, सीरिया, यमन जैसे देश शामिल हैं. हिन्दुस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है तो वह ऐसा क्यों नहीं कर सकता .
उन्होंने यह भी कहा कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में इसे गलत बताया लेकिन इस दिशा में कुछ नहीं किया. उन्होंने जोर दिया कि क्या महिलाओं के खिलाफ नाइंसाफी किसी आस्था का सवाल हो सकती है? कोई धर्म महिलाओं के खिलाफ नाइंसाफी की अनुमति नहीं दे सकता. प्रसाद ने कहा कि अगर कोई अदालत में जाकर तलाक लेता है तो यह आपराधिक मामला नहीं होता है. उन्होंने कहा कि हमारी सोच सियासी नफा-नुकसान और वोट के विचार के आधार पर नहीं बदलेगी.
ऐसे पास हुआ बिल सदन में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक को पारित किये जाने के लिये आगे बढ़ाने का विरोध किया और मत विभाजन की मांग की. सदन ने इसे 82 के मुकाबले 303 मतों से अस्वीकार कर दिया . इसके बाद कुछ सदस्यों के संशोधनों को हॉ और 'ना' के माध्यम से अस्वीकार कर दिया गया. सदन ने एन के प्रेमचंद्रन, अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, प्रो. सौगत राय, पी के कुन्हालीकुट्टी और असदुद्दीन औवैसी द्वारा फरवरी में लाये गये अध्यादेश के खिलाफ सांविधिक संकल्प को भी अस्वीकार कर दिया . इसके बाद सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी.
जेडीयू ने बिल के विरोध में वॉक आउट किया एनडीए के सहयोगी जेडीयू ने इस विधेयक का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया था. तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, डीएमके सदस्यों ने भी सदन से वॉकआउट किया. बहरहाल, कुछ सदस्यों द्वारा विधेयक में तीन तलाक को आपराधिक मामला बनाने और सजा के प्रावधान पर सवाल उठाने के विषय पर विधि और न्याय मंत्री ने कहा कि दहेज के खिलाफ कानून में सजा का प्रावधान है, सती प्रथा को आपराधिक मामला बनाया गया है, हिन्दुओं में पहली पत्नी रहते दूसरी पत्नी रखने के विषय में दंडात्मक प्रावधान है .
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब हिन्दुओं से जुड़े कानून में दंडात्मक प्रावधान हुए तब तो किसी ने आवाज नहीं उठायी .उन्होंने कहा कि दंडात्मक प्रावधान रोकथाम करने वाला होता है . उन्होंने कहा कि इस बारे में मुख्य पक्षकार मुस्लिम समाज की बेटियां हैं. हम इन्हीं बेटियों की बात सुनेंगे. प्रसाद ने कहा कि धारा 302 के दुरूपयोग की बात भी सामने आती है और जो दोषी नहीं होता, उन्हें अदालत से राहत भी मिलती है. उन्होंने कहा कि भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या के मामले में कार्रवाई होती है और ऐसे लोग दंडित होते हैं. प्रसाद ने कहा कि सियासत, धर्म और सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह 'नारी के सम्मान और नारी-न्याय'' का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए .
विधि और न्याय मंत्री ने कहा कि 2017 से अब तक तीन तलाक के 574 मामले विभिन्न स्रोतों से सामने आये हैं . मीडिया में लगातार तीन तलाक के उदाहरण सामने आ रहे हैं. इस बारे में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी ऐसे 345 मामले आए और अध्यादेश जारी करने के बाद भी 101 मामले आए हैं. उन्होंने कहा कि तीन तलाक की पीड़ित कुछ महिलाओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था. शीर्ष अदालत ने इस प्रथा को गलत बताया. इस बारे में कानून बनाने की बात कही गई . प्रसाद ने सवाल किया कि अगर इस दिशा में आगे नहीं बढ़े तो पीड़ित महिलाएं इस फैसले का क्या करेंगी.
तीन तलाक बिल में क्या है? इस विधेयक में तीन तलाक की प्रथा को शून्य और अवैध घोषित करने का और ऐसे मामलों में तीन वर्ष तक के कारावास से और जुर्माने से दंडनीय अपराध और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय अपराध घोषित करने का प्रस्ताव है. यह भी प्रस्ताव किया गया था कि विवाहित महिला और आश्रित बालकों को निर्वाह भत्ता प्रदान करने और साथ ही अवयस्क संतानों की अभिरक्षा के लिए भी उपबंध किया जाए. विधेयक अपराध को संज्ञेय और गैरजमानती बनाने का उपबंध भी करता था . इसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत देने की बात कही गई है.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने किया वॉक आउट तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के लिए लोकसभा में लाए गए विधेयक पर बृहस्पतिवार को मतविभाजन के समय कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने के प्रावधान का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया. सदन में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पर चर्चा के बाद जब कानून मंत्री ने इसे पारित कराने का प्रस्ताव किया तो कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने का विरोध करती है और सरकार विपक्ष की बात नहीं सुन रही है. उन्होंने कहा कि हमारे बार बार कहने पर भी तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने का प्रावधान विधेयक में बनाए रखा गया है. हम इसके विरोध में सदन से वॉकआउट करते हैं.
कांग्रेस के अलावा डीएमके, एसपी, बीएसपी, एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस, वाईएसआर कांग्रेस और आरएसपी के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. बाद में लोकसभा ने इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की. इस विधेयक पर मतविभाजन के दौरान कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी भी सदन में मौजूद थीं.
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