नई दिल्ली: संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी. विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है.


इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया. विधेयक पर लाये गये कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के एक संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया.


विधेयक पारित होने से पहले ही जेडीयू और एआईएडीएमके के सदस्यों ने इससे विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट किया. विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है. इसके अनुसार तलाक ए बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद ने भी विरोध किया है.


प्रसाद ने कहा कि एक मुस्लिम आईटी पेशेवर ने उनसे कहा कि तीन बेटियों के जन्म के बाद उसके पति ने उसे एसएमएस से तीन तलाक कह दिया है. उन्होंने कहा ‘‘एक कानून मंत्री के रूप में मैं उससे क्या कहता? क्या यह कहता कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय को मढ़वा कर रख लो. अदालत में अवमानना का मुकदमा करो. पुलिस कहती है कि हमें ऐसे मामलों में कानून में अधिक अधिकार चाहिए.’’


उन्होंने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार द्वारा लाये गये विधेयक का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ मैं नरेन्द्र मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार का कानून मंत्री नहीं हूं.’’ उन्होंने कहा कि यदि मंशा साफ हो तो लोग बदलाव की पहल का समर्थन करने को तैयार रहते हैं.


प्रसाद ने कहा कि जब इस्लामिक देश अपने यहां अपनी महिलाओं की भलाई के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे हैं तो हम तो एक लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हमें यह काम क्यों नहीं करना चाहिए? उन्होंने कहा कि तीन तलाक से प्रभावित होने वाली करीब 75 प्रतिशत महिलाएं गरीब वर्ग की होती हैं. ऐसे में यह विधेयक उनको ध्यान में रखकर बनाया गया है.


प्रसाद ने कहा कि हम ‘‘सबका साथ सबका विकास एवं सबका विश्वास’’ में भरोसा करते हैं और इसमें हम वोटों के नफा नुकसान पर ध्यान नहीं देंगे और सबके विकास के लिए आगे बढ़ेंगे और उन्हें (मुस्लिम समाज को) पीछे नहीं छोड़ेंगे.


क्या है प्रावधान?
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी ‘उदघोषणा शून्य और अवैध होगी.’


इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए गुजारा भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी. इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा.