ट्रिपल तलाक बिल पर जोरदार हंगामे के बाद राज्यसभा कल तक के लिए स्थगित
विपक्षी दल बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की वकालत कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस तीन तलाक के बिल पर आखिरी वक्त में क्या करेगी इस पर सबकी नजरें जमी हुई है.
नई दिल्ली: मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक कहने के चलन को फौजदारी अपराध बनाने संबंधी बिल को आज राज्यसभा में पेश किया गया. इस दौरान और सत्ता पक्ष और विपक्ष में जोरदार बहस हुई. विपक्ष जहां बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग करता रहा तो वहीं सरकार इस मांग को निराधार बताती रही. लगातार हंगामे के बीच राज्यसभा को कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
यहां पढ़ें राज्यसभा में आज क्या हुआ?
- लगातार हंगामे के बाद राज्यसभा कल तक के लिए स्थगित
- कपिल सिब्बल ने कहा- जजों ने कहा, ''अरुण जेटली सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दे रहे हैं, मैं इसमें सुधार करना चाहूंगा क्योंकि मैं इस केस में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से पेश हुआ था. जज ने जो वो माइनॉरिटी जजमेंट के संदर्भ में था.
- नरेश अग्रवाल ने कहा- संविधान में लिखा है कि एक सदन गलती करता है तो दूसरा सदन उसे सुधारे. हम लोग बिल के विरोधी नहीं हैं. हम चाहते हैं कि एक समुदाय के लिए नहीं बल्कि सभी समुदाय की महिलाओं को न्याय मिले.
- वित्त मंत्री ने कहा- जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है, दो जजों ने इसे अनुचित माना है और अपनी अतिरिक्त शक्तियों का प्रयोग कर 6 महीने के लिए स्थगित किया जो 22 फरवरी को खत्म हो रहा है. ऐसे में इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने का क्या कारण है?
- वित्त मंत्री ने कहा- पूरा देश देख रहा है कि दूसरे सदन ने इस बिल का समर्थन किया, इस सदन में आप लोग बिल को डिरेल करने की कोशिश कर रहे हैं
- राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पेश हुआ, कांग्रेस, टीएमसी और बीजेडी की मांग सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए बिल. सरकार ने सेलेक्ट कमेटी को भेजने के खिलाफ. अरुण जेटली ने कहा- संशोधन से पहले नोटिस क्यों नहीं दिया
- आनंद शर्मा के नोटिस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा- सदन अचानक से एक आए प्रस्ताव से हैरान है. यह एक दिन पहल नहीं दिया गया. कोई भी प्रस्ताव कम से कम 24 घंटे पहले आना चाहिए.
- कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का नोटिस दिया. आनंद शर्मा ने कमेटी सदस्यों के नाम भी प्रस्तावित किए.
- कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य सभा में कहा- लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बीच ही मुरादाबाद में एक औरत को दहेज को लेकर ट्रिपल तलाक दिया गया है.
- जबरदस्त हंगामे के बीच कानून मंत्री ने राज्यसभा में पेश किया तीन तलाक बिल
बता दें कि एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत के अपराध में पति को तीन साल की सजा के प्रावधान वाले इस बिल को पिछले हफ्ते लोकसभा में पारित किया गया था.
सरकार के खिलाफ है राज्य सभा में आंकड़ें
राज्य सभा में आंकड़ों का गणित सरकार के खिलाफ है. लिहाजा बिना आम सहमति के ये बिल पास नहीं हो सकता. अगर सरकार बिल पास करने पर अड़ेगी तो विपक्ष अमेंडमेंट ला सकता है जिसपर बहुमत के अभाव में सरकार की किरकिरी हो जाएगी. हालांकि बीजेपी को लगता है कि वो इसके जरिए विपक्षी दलों को तीन तलाक़ के मामले पर बेनकाब कर सकेगी जिसका सियासी फायदा उसे होगा.
किसके पास कितना संख्या बल?
फिलहाल राज्य सभा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के 57 सदस्य है. सपा के 18, एआईएडीएमके के 13,टीएमसी के 12,बीजेडी के 8,एनसीपी और बीएसपी के 5 और जेडीयू के 7 सदस्य हैं. विपक्षी दल बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की वकालत कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस तीन तलाक के बिल पर आखिरी वक्त में क्या करेगी इस पर सबकी नजरें जमी हुई है.
बिल में क्या है?
इस बिल में प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक पीड़ित महिला अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता पाने के मकसद से मजिस्ट्रेट से सम्पर्क कर सकती है. पीड़िता मजिस्ट्रेट से अपने नाबालिग बच्चों के संरक्षण की मांग कर सकती है. इस प्रस्तावित कानून के अनुसार मौके पर बोला गया तलाक, भले ही वह मौखिक, लिखित अथवा ईमेल, एसएमएस और व्हाट्स एप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से हो, वह गैरकानूनी एवं निष्प्रभावी हो जाएगा.
मौलानाओं ने जताया विरोध
वहीं, मुंबई में महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से आए मौलानाओं ने एक बैठक में तीन तलाक बिल पर चर्चा की. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना मोइन मियां के मुताबिक, बिल पास होने के फैसले को नहीं मानेंगे और सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे.
तीन तलाक बिल पर मोदी सरकार के दोनों हाथों में लड्डू हैं. क्योंकि अगर बिल पास हुआ तो मुस्लिम महिलाओं को उनका हक़ दिलाने का श्रेय मिलेगा और अगर लटक गया तो ये कहने का मौका मिलेगा कि विरोध करने वाली पार्टियां मुस्लिम विरोधी हैं.