Tripura Election 2023: त्रिपुरा में 81 फीसदी मतदान, EC ने कहा- हिंसा मुक्त रहा चुनाव, लंबे समय बाद ब्रू मतदाताओं ने डाले वोट
ECI on Tripura Election: त्रिपुरा में गुरुवार (16 फरवरी) को सभी 60 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले गए. मतदान कैसा रहा, क्या शिकायत रही या क्या खास रहा, इस बारे में चुनाव आयोग ने जानकारी दी है.
Tripura Assembly Election 2023 News: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2023 के लिए गुरुवार (16 फरवरी) को मतदान हुआ. चुनाव आयोग ने बताया कि चुनाव काफी हद तक हिंसा मुक्त रहा और ब्रू प्रवासी मतदाता कई वर्षों में पहली बार वोट डालने में सक्षम हुए. राज्य में करीब 81 फीसदी मतदान का अंदाजा लगाया गया है. मतदान के सटीक आंकड़े शुक्रवार (17 फरवरी) तक पता चलेंगे. चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि अब तक पुनर्मतदान (फिर से मतदान) की मांग से संबंधित कोई शिकायत नहीं मिली है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चुनाव पैनल ने कहा, ''उम्मीदवारों या (पोलिंग) एजेंटों पर किसी बड़ी हिंसा या हमले, वोटरों को धमकाने, बम फेंकने, फिर से मतदान कराने या ईवीएम को नुकसान पहुंचाने की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.''
अधिकारियों ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य में 168 पुनर्मतदान की शिकायतें मिली थीं. उसके मुकाबले गुरुवार (16 फरवरी) को राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर वोट डाले गए. मतदान काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा और अब तक कोई पुनर्मतदान की मांग की सूचना नहीं मिली है. अधिकारियों ने कहा कि हिंसा की मामूली घटनाएं दर्ज की गईं, जिन पर फौरन स्थानीय टीमों ने गौर किया.
कई वर्षों बाद ब्रू मतदाताओं ने डाले वोट
अधिकारियों ने कहा कि कई वर्षों में पहली बार ब्रू प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में सक्षम हुए. ब्रू समुदाय के लोगों को मताधिकार प्रक्रिया में शामिल करने के लिए विशेष प्रयास किए गए. राज्य में 12 स्थानों पर 14,055 पात्र ब्रू लोगों को वोट देने के लिए मतदाता के रूप में नामांकित किया गया. चार जिलों में ब्रू मतदाताओं ने अपने-अपने वोट डाले.
कौन हैं ब्रू वोटर्स?
भारत सरकार के मुताबिक, देश के 18 राज्यों और अंडमान-निकोबार में 75 जनजातीय समूहों के लोग रहते हैं. उन्हीं में से एक हैं ब्रू. ब्रू को रियांग भी कहा जाता है. ब्रू आदिवासी त्रिपुरा में करीब ढाई दशक से शरणार्थी के तौर पर हैं और बसने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इनकी संख्या 35 हजार से ज्यादा बताई जाती है. 2020 में केंद्र की मोदी सरकार ने ब्रू शरणार्थियों के लिए राज्य में 600 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. इनके पूर्वज म्यांमार के शान प्रांत के पहाड़ी क्षेत्रों के बताए जाते हैं जो बाद में मिजोरम में आकर बस गए थे. 1996 में मिजोरम में बहुसंख्यक (मिजो) लोगों और ब्रू आदिवासियों के बीच स्वायत्त जिला परिषद के मुद्दे को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था, जिसके चलते अक्टूबर 1997 में आधी ब्रू आबादी पलायन कर त्रिपुरा आ गई थी.
इस बार के चुनाव में क्या-क्या हुआ जब्त?
आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, 2018 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 44.67 करोड़ रुपये बरामद किए गए. इसमें 25 गुना बढ़ोतरी हुई है क्योंकि 2018 में बरामद हुई रकम 1.79 करोड़ रुपये थी. अधिकारियों ने कहा कि, नकदी के अलावा, शराब, ड्रग्स, कीमती धातु और मुफ्त उपहार जैसे सभी मदों में जब्ती में इजाफा देखा गया है.
चुनाव अधिकारियों ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के एक बयान का हवाला दिया कि चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और बाद में हिंसा कुछ ही राज्यों में रह गई है और लोकतंत्र में चुनावी हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है. बता दें कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मार्च को सामने आएंगे.