Tripura Assembly Election 2023: त्रिपुरा में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल बढ़ गई है. अब बीजेपी की सहयोगी, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने पूर्व कांग्रेस नेता और रॉयल वशंज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मन के नेतृत्व वाले टीआईपीआरए (TIPRA) के साथ संभावित विलय पर बैठक शुरू की है. पिछली रात गुवाहाटी के एक होटल में आईपीएफटी नेताओं और देबबर्मन के बीच बैठक हुई थी.


इस बारे में खुद प्रद्योत देबबर्मन (Pradyot Manikya Debbarman) ने ट्वीट कर जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट किया कि, "कल आईपीएफटी नेतृत्व से मिले और उनसे एक पार्टी बनने पर विचार करने को कहा. समय कम है और मुझे उम्मीद है कि वे सही काम करेंगे." टीआईपीआरए मोथा के प्रद्योत देबबर्मन ने एनडीटीवी से कहा, "हमने विलय के लिए बातचीत शुरू कर दी है, जिसके दौरान साझा ध्वज और चुनाव चिन्ह पर चर्चा की जाएगी. यह प्रक्रिया पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से शुरू की गई थी."


2018 में बीजेपी के साथ थी IPFT 


पिछले हफ्ते, प्रद्योत माणिक्य देबबर्मन ने आईपीएफटी को पत्र लिखकर क्षेत्रीय दलों के बीच एकता की मांग की थी. पार्टी सूत्रों ने कहा कि आईपीएफटी ने बैठक के लिए जवाब दिया था. 2018 के चुनावों में, IPFT ने बीजेपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया और 8 सीटें जीती थीं. बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार में पार्टी के दो मंत्री हैं, लेकिन इसके तीन विधायक टीआईपीआरए में चले गए हैं. 


"अलग राज्य की हमारी मांग पूरी नहीं हुई"


आईपीएफटी के प्रमुख प्रेम कुमार रियांग ने कहा, "आईपीएफटी 2018 से बीजेपी के साथ गठबंधन में है. हमने एक साथ चुनाव लड़ा और जीता, लेकिन अलग राज्य की हमारी मांग पूरी नहीं हुई है. हम अलग तिपरालैंड के लिए लड़ रहे हैं और अब तक हमें कुछ हासिल नहीं हुआ है. हम 2009 के बाद से अलग राज्य की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक हमने कुछ भी हासिल नहीं किया है, केवल विश्वासघात मिला." 


16 फरवरी को होगा मतदान


त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 16 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के विलय से बीजेपी के लिए राजनीतिक समीकरण और भी कठिन हो सकते हैं. IPFT और TIPRA दोनों मिलकर राज्य में 20 आदिवासी आरक्षित सीटों पर जीत हासिल करने की क्षमता रखते हैं और अन्य पांच से सात सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. हालांकि, IPFT और TIPRA ने संकेत दिया है कि उन्होंने त्रिपुरा के आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य के अपने मुख्य एजेंडे पर लिखित आश्वासन मिलने पर बीजेपी या वामपंथी और कांग्रेस के साथ गठबंधन की गुंजाइश खुली रखी है. 


क्या कहा प्रद्योत देबबर्मन ने?


देबबर्मन ने कहा, "कई राजनीतिक दलों ने हमसे संपर्क किया, लेकिन हम अपने लोगों से झूठ नहीं बोल सकते. जिन्होंने 70 साल से ज्यादा की पीड़ा झेली है. हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम लिखित में संवैधानिक समाधान चाहते हैं. हम किसी भी राजनीतिक दल के साथ तब तक गठबंधन नहीं करेंगे, जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, क्योंकि हम हमारे लोगों के साथ विश्वासघात नहीं कर सकते. पहले कई राजनीतिक दलों ने इस मामले पर मौखिक वादा किया था, लेकिन फिर चुनाव के बाद हमें निराश कर दिया. इस बार हम लिखित आश्वासन से कम कुछ भी लेने के लिए तैयार नहीं हैं." 


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