Tripura Assembly Elections 2023: त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव (Tripura Assembly Elections) होने में अब महज पांच दिन बचे हैं. राज्य की 60 सदस्यीयों वाली विधानसभा के लिए 16 फरवरी को मतदान किए जाएंगे. मतदान से पहले कांग्रेस और वामदल गठबंधन ने बड़ा दांव चला है. कांग्रेस नेतृत्व ने ऐलान किया है कि अगर राज्य में गठबंधन की जीत होती है तो आदिवासी चेहरे को ही त्रिपुरा का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.  


कांग्रेस के महासचिव के अनुसार कांग्रेस-वाम गठबंधन जीतती है तो माकपा के एक बड़े आदिवासी नेता को त्रिपुरा का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. इसमें सबसे ज्यादा चर्चा आदिवासी समुदाय से आने वाले जितेंद्र चौधरी की हो रही है, त्रिपुरा में जितेंद्र चौधरी सीपीआई (एम) के बड़े नेताओं में से एक हैं.   


सीताराम येचुरी ने भी दिए संकेत


कांग्रेस महासचिव के बयान से एक दिन पहले तक माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी थी. जब उनसे त्रिपुरा के सीएम पद के दावेदार को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि उसका फैसला चुनाव के बाद विधायक करेंगे. दरअसल, इस बार के चुनाव में वरिष्ठ वामपंथी नेता और त्रिपुरा के चार बार के मुख्यमंत्री माणिक सरकार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. इसकी वजह से सीपीआई (एम) ने किसी नए चेहरे को आगे करने का मन बनाया है. 


माणिक साहा के कंधों पर बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी


वहीं, बीजेपी त्रिपुरा में सत्ता दोहराने की कोशिश में है, इसके लिए पार्टी रणनीति पर काम कर रही है. 2018 के चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. इस बार के चुनाव में सीएम माणिक साहा के कंधों पर बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी है. बता दें कि बीजेपी ने पिछले चुनाव के नायक रहे बिप्लब देब को मुख्यमंत्री पद से हटाकर माणिक साहा को त्रिपुरा की कमान सौंपी थी. 


पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब को पद से हटाए जाने के बाद बीजेपी में उथल-पुथल भी है. बिप्लब देब को सीएम पद से हटाने के बाद पार्टी को एक और झटका तब लगा जब बीजेपी के बड़े नेता हंगशा कुमार ने अपने 6,000 हजार समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ दी.


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