Tripura IPFT MLA Resign: त्रिपुरा में बीजेपी-आईपीएफटी सरकार को शुक्रवार (14 अक्टूबर) को एक नया झटका लगा. गठबंधन सरकार के एक और विधायक ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और घोषणा की है कि वह जल्द ही प्रद्योत किशोर देबबर्मन (Pradyot Kishore) की पार्टी टीआईपीआरए मोथा (TIPRA Motha) में शामिल होंगे. धलाई जिले के राइमा घाटी निर्वाचन क्षेत्र के आईपीएफटी विधायक धनंजय त्रिपुरा (Dhananjoy Tripura) ने स्पीकर रतन चक्रवर्ती से मुलाकात की और व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए विधायक पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया.


इस दौरान उनके साथ  प्रद्योत और कुछ अन्य टीआईपीआरए नेता भी रहे. हालांकि, स्पीकर ने कहा कि वह उचित औपचारिकताओं और जांच के बाद फैसला लेंगे. धनंजय के इस्तीफे ने अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 60 सदस्यीय सदन में गठबंधन सरकार की ताकत को घटाकर 41 कर दिया है. एक साल पहले सिमना निर्वाचन क्षेत्र के आईपीएफटी विधायक बृशकेतु देबबर्मा ने भी इस्तीफा दे दिया था और मोथा में शामिल हो गए थे.


आईपीएफटी के और विधायक दे सकते हैं इस्तीफा


वर्तमान में, आईपीएफटी के पास छह विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 35 विधायक हैं. टीआईपीआरए मोथा के सूत्रों ने कहा कि मौजूदा विधायक मेवर कुमार जमातिया, तीन अन्य विधायकों के साथ, आईपीएफटी को छोड़कर मोथा में शामिल होने के लिए तैयार हैं. मेवर ने कथित तौर पर गुरुवार रात प्रद्योत के साथ बैठक की. 


किस बात से हैं नाराज?


आईपीएफटी के ज्यादातर विधायक और नेता, इसके अध्यक्ष और राजस्व मंत्री एन सी देबबर्मा की बीजेपी के साथ बढ़ती निकटता और आईपीएफटी की मुख्य मांग को पूरा नहीं करने का विरोध कर रहे हैं. इसी आधार पर उन्होंने विधानसभा चुनाव-2018 से पहले बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. आईपीएफटी के सूत्रों ने दावा किया कि एनसी देबबर्मा ने अगले चुनाव से पहले आईपीएफटी का बीजेपी में विलय करने की योजना बनाई है, जो सभी को स्वीकार्य नहीं है. 


बीजेपी विधायक ने भी दिया था इस्तीफा


तीन हफ्ते पहले, 43 कारबुक (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र के बीजेपी (BJP) विधायक बरबा मोहन त्रिपुरा ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और मोथा (TIPRA Motha) में शामिल हो गए. इस बीच, प्रद्योत ने संकेत दिया कि बीजेपी और आईपीएफटी के कुछ और आदिवासी विधायक उनके संपर्क में हैं और जल्द ही पार्टी में शामिल होंगे. प्रद्योत ने दावा किया कि बीजेपी ने गठबंधन बनाने से पहले आईपीएफटी की टिपरालैंड की मांग पर विचार करने का वादा किया था, लेकिन पिछले साढ़े चार साल में यह एक सपना बनकर रह गया है. 


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