नई दिल्ली: बीजेपी आलाकमान ने सक्रियता दिखाते हुए त्रिपुरा में चल रहे पार्टी के अंदरूनी झगड़े को सुलझा लिया है. सभी नाराज विधायकों को सुनने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री विप्लव देव से बात कर विधायकों की नाराजगी दूर कर दी गई है. साथ ही विधायकों को हिदायत दी गई है कि राज्यहित में सरकार का समर्थन करें, न कि विरोध. इसके बाद नाराज विधायक कल सुबह त्रिपुरा वापस लौटने की योजना बनाई है.


क्यों नाराज थे विधायक


विधायकों का आरोप था कि मुख्यमंत्री विप्लव देव उनकी सुनते नहीं है. इसके चलते विधायक मुख्यमंत्री को हटाने की मांग लेकर दिल्ली आए थे. गौरतलब है कि 60 विधानसभा सीट वाले त्रिपुरा में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने 2018 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है. बीजेपी ने तब के राज्य इकाई के अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब को मुख्यमंत्री बनाया था जो अब तक सरकार चला रहे हैं.


सूत्रों की मानें तो सरकार के कामकाज के तरीके से नाखुश होकर त्रिपुरा बीजेपी के करीब आठ विधायक ने पिछले पांच दिनों से दिल्ली में डेरा डाल रखा है. विधायक सुदीप रॉय बर्मन और रामन प्रसाद समेत आठ विधायक पिछले कई दिनों से दिल्ली के त्रिपुरा भवन में रुके हुए हैं.


सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में रुके विधायक मुख्यमंत्री को हटाने की मांग लेकर आए थे. इसे लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन मंत्री बीएल संतोष और अरुण सिंह से विधायकों ने मुलाकात की. विधायकों ने अपनी बात रखी. इस बीच जेपी नड्डा ने दिल्ली में जमे नाराज विधायकों को फटकार भी लगाई. उन्होंने विधायकों के विरोध के तरीके को सही नहीं माना. बाद में उन्होंने विधायकों की बातें सुनी और मुख्यमंत्री विप्लव देव से फोन पर बात करके मामले को शांत किया.


एबीपी न्यूज़ ने जब इस विषय पर विधायक सुदीप रॉय बर्मन से टेलीफोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि उनके साथ 13 विधायक दिल्ली आए थे. पार्टी के कामकाज को लेकर बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात की है. अब सब ठीक है. बुधवार की सुबह 8 बजे की फ्लाइट से वे लोग वापस लौट जाएंगे.


सरकार को नहीं है कोई खतरा


फिलहाल त्रिपुरा सरकार को कोई खतरा नहीं है. 60 विधायकों वाले त्रिपुरा में सरकार को गिराने के लिए कम से कम 15 विधायकों की जरूरत होगी जो इकट्ठे होते नहीं दिखाई दे रहे. बीजेपी के पास 36, सीपीआई(एम) के पास 16 और आईपीएफटी के पास 8 विधायक हैं.


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