त्रिपुरा में गिराई गई लेनिन की मूर्ति
त्रिपुरा के बेलोनिया में बीजेपी समर्थकों ने कम्यूनिस्ट विचारक और रुसी क्रांति के नायक ब्लादमिर लेनिन की मूर्ति को बुल्डोजर से गिरा दिया गया.
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अगरतला: त्रिपुरा में बीजेपी की एतिहासिक जीत के बाद एक के बाद एक हंगामे का मामला सामने आ रहा है. दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया में बीजेपी समर्थकों ने कम्युनिस्ट विचारक और रुसी क्रांति के नायक ब्लादमिर लेनिन की मूर्ति को बुल्डोजर से गिरा दिया गया. जिसपर विवाद खड़ा हो गया है. बीजेपी के साथ-साथ राज्यपाल भी मूर्ति तोड़ने वालों के बचाव में आ गए हैं. राज्यपाल तथागत रॉय ने बीजेपी का बचाव करते हुए कहा है कि अगर एक सरकार ने गलती की है तो दूसरी सरकार सुधार सकती है.
राम माधव ने किया ट्वीट
बीजेपी के महासचिव राम माधव ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए लिखा कि लोग लेनिन की मूर्ति गिराए जाने की चर्चा कर रहे हैं, रूस नहीं ये त्रिपुरा है, चलो पलटाई. राम माधव के ट्वीट से साफ है कि लेनिन की मूर्ति गिराने पर बीजेपी की मौन सहमति है. चुनाव में चलो पलटाई त्रिपुरा में बीजेपी का नारा है और उसी नारे तर्ज पर लेनिन की मूर्ति पलट दी गई.
Post Poll violence in Tripura against the Left is the truth which mocks the PM's claims that BJP believes in democratic norms! What is happening in Tripura is a wholesale effort to bully, intimidate and spread a feeling of fear and insecurity among Left cadres and supporters. pic.twitter.com/l1FFAqFhR1
— CPI (M) (@cpimspeak) March 5, 2018
कौन थे लेनिन? मार्क्सवादी विचारक व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में 1917 में रूस की क्रांति हुई. 22 अप्रैल 1870 को रूस के सिंविर्स्क शहर में लेनिन का जन्म हुआ. 1889 में उन्होंने मार्क्सवादियों का संगठन बनाया और उसके नेता बने. रूस में साम्यवादी शासन के लिए लेनिन ने आंदोलन चलाया. इस दौरान उन्होंने कई किताबें लिखी और कई बार जेल भी गए. 1917 में रूस की क्रांति के बाद लेनिन 1922 में सोवियत संघ के प्रमुख बने. 1924 में 54 साल की उम्र में स्ट्रोक की वजह से लेनिन का निधन हुआ. लेनिन के विचारों को दुनिया में लेनिनवाद के नाम से जाना जाता है. मौत के बाद लेनिन का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. उनके शव को रूस में संरक्षित किया गया ताकि आने वाली पीढ़ियों को उनसे प्रेरणा मिल सके. लेनिन को कम्युनिस्टों का एक तबका अपना आदर्श मानता है. देश में जहां भी कम्युनिस्टों की सरकार रही वहां लेनिन के विचारों को प्रचारित, प्रसारित किया.
आपको बता दें कि त्रिपुरा में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली है. लेफ्ट की 25 साल की सत्ता को उजाड़ते हुए बीजेपी को 43 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत मिला है. राज्य में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनने से पहले ही ये मामला चौंकाने वाला है. त्रिपुरा की कुल 60 सीटों में से 59 सीटों पर मतदान हुए. जिसमें बीजेपी गठबंधन को 43 सीटों पर जीत मिली. अपने गढ़ में सीपीएम को 16 सीटें नसीब हुई हैं.
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