Tripura Cabinet Expansion: त्रिपुरा में सत्तारूढ़ बीजेपी विधायकों और नेताओं के एक वर्ग की खुली नाराजगी के बीच तीन नए चेहरों को बिप्लब कुमार देब की कैबिनेट में शामिल किया गया. त्रिपुरा बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष राम प्रसाद पॉल, युवा विधायक सुशांत चौधरी और पार्टी के उत्तरी त्रिपुरा के नेता भगवान चंद्र दास ने साढ़े तीन साल पुराने बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन सरकार में पहली बार हुए मंत्रिमंडल विस्तार में पद और गोपनीयता की शपथ ली.


सीएम बिप्लब कुमार देब ने ट्वीट पर नए मंत्रियों को बधाई दी. उन्होंने लिखा, "मेरे सहयोगियों को हार्दिक शुभकामनाएं- रामप्रसाद पॉल, सुशांत चौधरी और भगवान दास ने आज त्रिपुरा राज्य सरकार के मंत्री के रूप में शपथ ली. त्रिपुरा के 37 लाख लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम साथ में प्रयास जारी रखेंगे."


सत्तारूढ़ भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले पूरे राज्य में शासन और पार्टी संगठनों को सक्रिय कर दिया है. 9 मार्च, 2018 को भाजपा-आईपीएफटी (इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) सरकार के सत्ता संभालने के बाद से तीन मंत्री पद खाली पड़े थे. मई 2019 में पूर्व स्वास्थ्य और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री सुदीप रॉय बर्मन को मुख्यमंत्री के साथ मतभेदों के बाद बर्खास्त कर दिया गया था. मंत्रालय में वैकेंसी बढ़कर चार हो गई थी.


सुरजीत दत्ता, रतन चक्रवर्ती, विश्वबंधु सेन, शंकर रॉय और अरुण चंद्र भौमिक जैसे अनुभवी विधायकों सहित कम से कम 15 अन्य विधायक जो कैबिनेट बर्थ की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें मुख्यमंत्री की चयन प्रक्रिया में दौड़ से बाहर कर दिया गया.


पिछले हफ्ते आईपीएफटी के पांच सदस्यीय विधायक प्रतिनिधिमंडल ने सचिवालय में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब से मुलाकात की और सत्ताधारी दलों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. लंबे समय तक चली बैठक में प्रेम कुमार रियांग, धनंजय त्रिपुरा, प्रशांत देबबर्मा, धीरेंद्र देबबर्मा और सिंधु चंद्र जमातिया सहित पांच विधायकों ने भाग लिया था.


हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से आईपीएफटी सुप्रीमो और राजस्व मंत्री एनसी देबबर्मा और महासचिव और वन मंत्री मेवर कुमार जमातिया बैठक के दौरान मौजूद नहीं थे. मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने ट्विटर पर जानकारी दी कि उन्होंने गठबंधन सहयोगियों के साथ सार्थक चर्चा की.


भले ही बीजेपी पार्टी कार्यालय का दावा है कि गठबंधन सहयोगी के साथ संबंध अच्छे हैं. यह स्पष्ट है कि एडीसी में मजबूत दावेदार के रूप में टीआईपीआरए मोथा के उभरने से दोनों गठबंधन सहयोगी दूर हो गए हैं, क्योंकि बीजेपी उनके साथ अगले चुनाव में गठबंधन कर सकती है.



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