Tripura Assembly Election 2023: त्रिपुरा में चुनावी बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने 16 फरवरी को त्रिपुरा की सभी 60 विधानसभा सीटों पर मतदान कराने का ऐलान किया है. चुनाव की आधिकारिक घोषणा होने के बाद सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. प्रदेश में इस वक्त बीजेपी की सरकार है और पार्टी वापसी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. चुनाव की कमान खुद मुख्यमंत्री माणिक साहा ने अपने हाथों में संभाल रखी है.
मुख्यमंत्री ने घर-घर जाकर लोगों से वोट मांगकर चुनावी प्रचार की शुरुआत की. लोगों के बीच जाकर मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के पांच सालों के कामकाज का ब्यौरा दिया और आगामी पांच साल के लिए उनसे वोट मांगा. सीएम साहा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र टाउन बारडोवली में घर-घर प्रचार के बीच कहा, "मैं जहां भी जाता हूं, लोगों के चेहरे पर मुस्कान देखता हूं क्योंकि उन्हें बीजेपी की डबल इंजन सरकार का लाभ मिला है."
सीएम ने किया 50 सीटें जीतने का दावा
इस दौरान मुख्यमंत्री ने आगामी चुनाव ने 50 सीटें जीतने का दावा किया. उन्होंने कहा, "जिस तरह की प्रतिक्रिया हमें लोगों से मिल रही है, मुझे यकीन है कि बीजेपी 50 से ज्यादा सीटें जीतेगी." उन्होंने कहा, "मुझे हैरानी है कि कभी राज्य की राजनीति में धुर विरोधी रहे दल कैसे वोट मांगने के लिए घर-घर जाएंगे. वे अपनी मौकापरस्ती के कारण आगामी चुनाव में शून्य पर सिमट जाएंगे." उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि जनता एक बार फिर से बीजेपी सरकार बनाने में मुख्य भूमिका निभाएगी."
'विरोधियों के पास कोई मुद्दा नहीं'
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि वर्तमान बीजेपी सरकार की स्वच्छ छवि का चुनाव पर बहुत प्रभाव पड़ेगा. सीएम साहा ने कहा, "राज्य की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सड़क से लेकर इंटरनेट और रेलवे तक, सभी मोर्चों पर विकास देखा है." साहा ने राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति खराब होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए इसे विपक्ष की चाल बताया. उन्होंने कहा, "त्रिपुरा में सभी क्षेत्रों में बहुत बड़ा विकास हुआ है इसलिए विरोधियों के पास कोई उचित मुद्दा नहीं है."
कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन पर हमला
कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे अपवित्र गठबंधन बताया. उन्होंने कहा कि चुनाव में लोग इस गठबंधन को करारा जवाब देंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों दलों ने राज्य में खुद के अस्तित्व को बचाने के लिए एक-दूसरे के साथ गठबंधन किया है. दोनों दलों को कट्टर प्रतिद्वंद्वी माना जाता था.
पिछले चुनाव का परिणाम
त्रिपुरा की 60 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 36 सीटें मिली थीं. सीपीएम को 16 और आईपीएफटी को 8 सीटें मिली थीं. वहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. पिछले चुनाव में त्रिपुरा में बीजेपी को 44 प्रतिशत वोट मिले थे. बीजेपी चुनाव में अकेले बहुमत तो लाई थी लेकिन उसका वोट प्रतिशत लेफ्ट पार्टियों से मामूली अंतर से आगे था. सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट को भी 44 प्रतिशत वोट मिले थे. आईपीएफटी को 7 प्रतिशत जबकि 5 प्रतिशत वोट अन्य को मिले थे.
इस बार बदल चुके हैं समीकरण
त्रिपुरा में बीजेपी ने कुछ महीने पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी से बिप्लब कुमार देब को हटाकर मणिक साहा को बिठाया था. अब पार्टी ने मणिक साहा के नेतृत्व में ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है. दूसरी ओर, बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट में गठबंधन हो गया है. पिछले पांच दशक के राजनीतिक इतिहास में यहां कांग्रेस और सीपीएम हमेशा से एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं. 2018 में बीजेपी ने पहली बार सत्ता हासिल कर ली थी. कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा के नाम की चर्चा हो रही है. वहीं टिपोरा मोथा के प्रमुख और त्रिपुरा राजपरिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन मुकाबले को दिलचस्प बना सकते हैं.
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