Tripura Election 2023: त्रिपुरा में चुनाव को लेकर बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने त्रिपुरा में 16 फरवरी को चुनावी तारीख का ऐलान किया है. इस बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता माणिक सरकार ने मंगलवार को दावा किया कि त्रिपुरा में आगामी चुनावों में बीजेपी की हार निश्चित है. माणिक सरकार ने राज्य के वोटरों से बीजेपी के खिलाफ वोट करने की अपील की. 


बीजेपी ने 58 महीनों में गलत काम किए


60 सदस्यीय विधानसभा के लिए मध्य फरवरी में मतदान होगा. अनुभवी कम्युनिस्ट नेता माणिक सरकार ने पश्चिम त्रिपुरा के जिरानिया में एक सीपीआई (एम) में कहा, 'बीजेपी पिछले 58 महीनों में अपने गलत कामों के कारण इस बार सत्ता में नहीं आएगी. बीजेपी ने जन-विरोधी नीतियों को अपनाया है और भ्रष्ट कामों को बढ़ावा दे रहे हैं."


माणिक सरकार ने कहा कि बीजेपी विधानसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले बिप्लब कुमार देब को हटा कर और माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाकर अपना "आखिरी दांव" लगा चुकी है. 


लोगों ने बीजेपी को हटाने का मन बना लिया


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "बीजेपी सत्ता को बनाए रखने की कोशिश कर रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही राज्य का दौरा कर चुके हैं. लेकिन लोगों ने बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाने का मन बना लिया है." माकपा नेता ने दावा किया कि सरकारी कर्मचारियों, युवाओं, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों- सभी वर्गों के लोगों ने राज्य को बचाने के लिए "बीजेपी को हराने का मन बना लिया है."


गुपचुप तरीके से गतिविधियां चलाईं


रैली में माणिक सरकार ने लोगों से उन्हें एक जगह वोट देने की अपील की. पिछले पांच वर्षों में विपक्षी दलों को राजनीतिक गतिविधियां नहीं करने देने के लिए बीजेपी पर निशाना साधते हुए सरकार ने कहा कि माकपा जिरानिया अनुमंडल में गुपचुप तरीके से अपनी सांगठनिक गतिविधियों को अंजाम दे रही है.


उन्होंने कहा, 'बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सोचा था कि माकपा जिरानिया अनुमंडल से गायब हो गई है, लेकिन आज की बैठक ने उन्हें गलत साबित कर दिया. जो लोग विपरीत परिस्थितियों में युद्ध के लिए तैयार रहते हैं वे ही इतिहास रचते हैं.


माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने भी लोगों से आग्रह किया कि वे राज्य में लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों को वापस लाने के लिए बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकें. बता दें दि पिछले चुनाव में बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन को राज्य में 60 सीटों में से 43 सीटें जीती थीं. बीजेपी को 35 और आईपीएफटी को 8 सीटें मिलीं. वहीं, सीपीआई (एम) को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा था. 


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