Tripura Election Result 2023: त्रिपुरा में बीजेपी की दोबारा जीत क्यों है मोदी-अमित शाह के लिए बहुत बड़ी बात, जानें
Tripura Assembly Election Result 2023: कई राज्यों में हार के बाद बीजेपी के लिए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव की ये जीत बेहद अहम है. राज्य में कई चुनौतियों को पार करते हुए पार्टी ने ये जीत हासिल की है.
Tripura Assembly Election Result 2023: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए कई मायनों में अहम रहे. एक तरफ जहां पर कट्टर विरोधी कांग्रेस का वामपंथियों के साथ गठबंधन था, प्रद्योत देबबर्मा की टिपरा मोथा की पार्टी भी हुंकार भर रही थी तो वहीं, एक साल पहले ही बीजेपी को राज्य में अपना मुख्यमंत्री तक बदलना पड़ा. इन सभी बाधाओं को पार करते हुए साल 2018 में अपनी सरकार बनाने वाली बीजेपी ने राज्य में फिर से वापसी की है.
त्रिपुरा 60 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों वाला बहुत ही छोटा राज्य है लेकिन बीजेपी के लिए ये जीत उतनी की प्यारी है जितनी उत्तर प्रदेश में मिली जीत थी. यूपी में भी पार्टी ने सत्ता बरकरार रखने की चुनौती का सामना किया तो वहीं त्रिपुरा में इसी तरह की चुनौती पार्टी के लिए बनी हुई थी. वामपंथियों के गढ़ त्रिपुरा में मिली ये जीत साबित करती है कि साल 2018 में बीजेपी को मिली जीत आकस्मिक नहीं थी. पार्टी यहां बने रहने के लिए काम कर रही थी.
बीजेपी की चुनौती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी के लिए चुनौतियां भी कम नहीं रही हैं. कई राज्यों में पार्टी ने काफी संघर्ष किया है. इन राज्यों में विपक्ष की एकजुटता दिखी. भले ही वो बिहार हो जहां पर साल 2015 में कट्टर विरोधी जेडीयू और आरजेडी ने हाथ मिला लिया या फिर झारखंड हो जहां पर साल 2019 का चुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने एक साथ मिलकर लड़ा.
वहीं, पश्चिम बंगाल में पिछले साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने गुपचुप तरह से कांग्रेस की मदद की और बीजेपी को यहां भी हार का मुंह देखना पड़ा था. इन सभी पहलुओं पर अगर गौर करें तो त्रिपुरा में लेफ्ट और कांग्रेस का गठबंधन ऊपर से टिपरा मोथा की हुंकार, बीजेपी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं थी.
साल 2018 से इस बार कम सीटें
हालांकि, बीजेपी को राज्य में जीत तो हासिल हुई है लेकिन साल 2018 में जहां पार्टी ने 44 सीटों पर कब्जा किया था वहीं, इस बार बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन 34 सीटों पर सिमट गया. सीटों के कम होने का गणित लगाया जाए तो उसके पीछे कांग्रेस और लेफ्ट का गठबंधन को कारण नहीं माना जा सकता है. इसका मुख्य कारण अलग टिपरालैंड के मुद्दे पर राज्य में पहली बार चुनाव लड़ी प्रद्योत की पार्टी टिपरा मोथा रही. इस पार्टी ने राज्य की एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की है.
वहीं इस चुनाव में गठबंधन के बिना बीजेपी की बात करें तो पार्टी का प्रदर्शन उतना निराशाजनक नहीं रहा है क्योंकि साल 2018 में बीजेपी ने 36 सीटें जीतीं थीं जो इस बार तीन सीटें घटकर 33 के आंकड़े पर है. आईपीएफटी की सीटें ज्यादा कम रही हैं.
2024 की चुनावी जंग
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के नजरिए से देखा जाए तो ये बीजेपी के लिए यह राहत का काम कर सकता है. पार्टी त्रिपुरा की जीत को अपने मजबूत विकास मॉडल और लेफ्ट-कांग्रेस के गठबंधन को खारिज करने के रूप में भुनाने की कोशिश करेगी. त्रिपुरा में कांग्रेस को महज 3 सीटें ही मिल पाई हैं. इन सब के बीच बीजेपी टिपरा मोथा की मांगों को लेकर भी नहीं झुकी, जो अलग राज्य की मांग कर रही थी और लिखित गारंटी चाहती थी. बीजेपी ने त्रिपुरा की अखंडता के आधार पर ये चुनाव लड़ा था. ऐसे में भले ही ये जीत कम अंतर की ही क्यों न हो, लेकिन बीजेपी के लिए ये जीत बहुत प्यारी है.
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