Tripura Meghalaya And Nagaland Election 2023: त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके तीनों राज्यों के चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने तीनों राज्यों में निष्पक्ष चुनाव कराने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने कहा कि नागालैंड, त्रिपुरा और मेघालय में भयमुक्त चुनाव कराने के लिए आयोग पूरी तरह आश्वस्त है.


त्रिपुरा में 16 फरवरी को मतदान होगा. तो वहीं, नागालैंड और मेघालय में 27 फरवरी को वोटिंग होगी. तीनों राज्यों के नतीजे 2 मार्च को आएंगे. त्रिपुरा में इस वक्त बीजेपी की सरकार है, तो वहीं मेघालय और नागालैंड में बीजेपी सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है. यानी तीनों राज्यों में बीजेपी के सामने सरकार बचाने की चुनौती है. 


त्रिपुरा के क्या हैं समीकरण?


त्रिपुरा में बीजेपी ने कुछ महीने पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी से बिप्लब कुमार देब को हटाकर मणिक साहा को बिठाया था. अब पार्टी ने मणिक साहा के नेतृत्व में ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है. दूसरी ओर, बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट में गठबंधन हो गया है. पिछले पांच दशक के राजनीतिक इतिहास में यहां कांग्रेस और सीपीएम हमेशा से एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं. 2018 में बीजेपी ने पहली बार सत्ता हासिल कर ली थी. कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा के नाम की चर्चा हो रही है. वहीं टिपोरा मोथा के प्रमुख और त्रिपुरा राजपरिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन मुकाबले को दिलचस्प बना सकते हैं.


त्रिपुरा के पिछले चुनाव का परिणाम 


त्रिपुरा की 60 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 36 सीटें मिली थीं. सीपीएम को 16 और आईपीएफटी को 8 सीटें मिली थीं. वहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. पिछले चुनाव में त्रिपुरा में बीजेपी को 44 प्रतिशत वोट मिले थे. बीजेपी चुनाव में अकेले बहुमत तो लाई थी लेकिन उसका वोट प्रतिशत लेफ्ट पार्टियों से मामूली अंतर से आगे था. सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट को भी 44 प्रतिशत वोट मिले थे. आईपीएफटी को 7 प्रतिशत जबकि 5 प्रतिशत वोट अन्य को मिले थे.


मेघालय के क्या हैं समीकरण?


मेघालय में बीजेपी भले ही NPP के साथ सत्ता में हो, लेकिन इस बार समीकरण काफी बदल चुके हैं. बीजेपी और एनपीपी के बीच कई मुद्दों को लेकर सामंजस्य नहीं बैठ रहा है. वहीं, पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें पाने वाली कांग्रेस इस बार टूटी हुई और बिखरी हुई नजर आ रही है. बड़े स्तर पर कांग्रेस नेताओं को शामिल कराकर टीएमसी काफी मजबूत दावेदार नजर आ रही है. टीएमसी की ओर से पूर्व सीएम मुकुल संगमा ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. वहीं यदि एनपीपी और बीजेपी में समझौता नहीं हुआ तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी को कमान सौंपी जा सकती है. एनपीपी की तरफ से कोनराड संगमा के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा. 


मेघालय के पिछले चुनाव के नतीजे


2018 में हुए चुनाव में 21 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि, बहुमत नहीं मिलने पर उसके हाथ से सत्ता फिसल गई थी. बीजेपी ने महज 2 सीटें पाने के बाद भी एनपीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. एनपीपी को 19 सीटें मिली थीं जबकि, अन्य को 18 सीटें मिली थीं. एनपीपी के अध्यक्ष कोनराड के संगमा को मुख्यमंत्री बनाया गया था. पिछले चुनाव में कांग्रेस को 29 प्रतिशत वोट मिले थे. एनपीपी को 21 प्रतिशत जबकि बीजेपी को 10 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे. अन्य के हिस्से में सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत वोट गए थे.


नागालैंड के कैसे हैं समीकरण?


नागालैंड में NDPP और बीजेपी गठबंधन की सरकार है और NDPP सुप्रीमो नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री हैं. पिछले चुनाव से ठीक पहले नेफ्यू रियो ने NPF को तोड़कर NDPP की स्थापना की थी और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. दोनों दल इस बार भी एक साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे. दोनों दलों ने संयुक्त बयान में कहा है कि NDPP 40 और बीजेपी 20 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ेगी. मतलब साफ है कि बीजेपी गठबंधन में नेफ्यू रियो ही सीएम चेहरे होंगे. कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष के थेरी सीएम उम्मीदवार हो सकते हैं. NPF की ओर से पार्टी अध्यक्ष डॉ. शूरहोजेली लिजीत्सु मुकाबले को दिलचस्प बना सकते हैं. 


बीजेपी के हाथ में थी सत्ता की चाभी


नागालैंड में कुल 60 सीटें हैं. इसमें NPF को सबसे ज्यादा 27 सीटें मिली थी. एनडीपीपी को 18 सीट जबकि बीजेपी को 12 सीटें मिली थीं. इसके अलावा NPP ने दो सीटों पर और एक सीट पर निर्दलीय और एक सीट पर JDU प्रत्याशी जीता था. सरकार में एनडीपीपी, बीजेपी NPEP और JDU शामिल हैं. नागालैंड में एनपीएफ को सबसे ज्यादा 39 प्रतिशत वोट मिले थे. एनडीपीपी को 25 प्रतिशत, बीजेपी को 15 प्रतिशत वोट जबकि अन्य का वोट शेयर 21 प्रतिशत रहा.


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