3 राज्यों के विधानसभा और 5 सीटों के उपचुनाव के नतीजे किसके लिए खतरे की घंटी, बीजेपी या कांग्रेस?
3 राज्यों के चुनावी नतीजों से बीजेपी खुश है. हालांकि, महाराष्ट्र की हार ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है. कांग्रेस त्रिपुरा चुनाव और झारखंड में उपचुनाव हार गई है. पार्टी 3 जगहों पर उपचुनाव जीती भी है.
उत्तर-पूर्व के 3 राज्य नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय के साथ ही 5 राज्यों में उपचुनाव के नतीजों से बीजेपी खुश है. झारखंड के रामगढ़ सीट पर उपचुनाव में बीजेपी की सहयोगी आजसू की जीत हुई है. वहीं नगालैंड और त्रिपुरा में पार्टी फिर से सत्ता में लौट आई है.
जीत के बाद बीजेपी ने नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय की जनता का आभार जताया है. त्रिपुरा और नगालैंड में बीजेपी की सत्ता वापसी हुई है, जबकि पार्टी को मेघालय में भी सरकार बनाने की उम्मीद है.
5 राज्यों में से महाराष्ट्र और अरुणाचल के विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली है. नॉर्थ-ईस्ट समेत कई जगहों पर उपचुनाव में मिली जीत के बाद प्रधानमंत्री भी कार्यकर्ताओं से बात करेंगे. पार्टी की रणनीति इन नतीजों को आगे के चुनावों में भी भुनाने की है.
कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी नुकसानदेह साबित हुआ है. कांग्रेस छोड़ अलग पार्टी बनाने वाले प्रद्युत देवबर्मन राज्य में तीसरी शक्ति के रूप में उभरे हैं. उनकी पार्टी टीएमपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
झारखंड में भी कांग्रेस को हार मिली है और यहां की रामगढ़ सीट पर आजसू ने जीत दर्ज की है. हालांकि, पश्चिम बंगाल में पार्टी को जरूर संजीवनी मिली है. आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं किस पार्टी को चुनाव में क्या मिला?
बीजेपी- जीत के जश्न में महाराष्ट्र ने बढ़ाई टेंशन
त्रिपुरा में बीजेपी सत्ता में वापसी कर ली है, इसके बावजूद पार्टी की टेंशन बढ़ गई है. राज्य में इस बार के चुनाव में सहयोगी IPFT की 7 और बीजेपी की 4 सीटें घट गई है.
महाराष्ट्र में भी बीजेपी को जबरदस्त झटका लगा है और यहां के कस्बा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है. कस्बा बीजेपी का गढ़ माना जाता है और बीजेपी विधायक के निधन से यह सीट रिक्त हुआ था.
कस्बा में 28 साल बाद बीजेपी की हार हुई है और यहां से कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर ने बीजेपी उम्मीदवार को 10 हजार वोटों से हराया है. बीजेपी ने अपने उम्मीदवार हेमंत रसाने के प्रचार में पूरी कैबिनेट को उतार दी थी.
कांग्रेस- नॉर्थ ईस्ट और झारखंड में झटका, बंगाल में मिली संजीवनी
कांग्रेस को नॉर्थ-ईस्ट के तीनों राज्यों में करारी हार मिली है. नगालैंड में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है. मेघालय में भी एक सीट पर कांग्रेस सिमट गई है. मेघालय के अलावा झारखंड उपचुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है.
झारखंड में पहली बार उपचुनाव में सत्ताधारी दल हारी है. हालांकि, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की जीत ने कांग्रेस की हार के जख्म पर जरूर मरहम लगाने का काम किया है. पार्टी का बंगाल में भी खाता खुल गया है.
बंगाल के सागरदिघी सीट से कांग्रेस के बायरोन विश्वास ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया है. यहां बीजेपी तीसरे नंबर पर रही है. बंगाल चुनाव 2021 में कांग्रेस एक सीट भी नहीं जीत पाई थी.
तृणमूल कांग्रेस- बंगाल में हार, मेघालय में एंट्री
बंगाल के बाद अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार करने में जुटी ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है. बंगाल के सागरदिघी में तृणमूल कांग्रेस के देबाशीष बनर्जी कांग्रेस के उम्मीदवार से 22 हजार वोटों से हार गए हैं.
तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता सुब्रत साहा के निधन से यह सीट रिक्त हुई था. सागरदिघी मुर्शिदाबाद जिले की एक विधानसभा सीट है. यहां पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की थी.
दूसरी ओर नॉर्थ-ईस्ट में सिर्फ मेघालय में तृणमूल कांग्रेस को फायदा मिला है. पार्टी ने यहां 5 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की है. मेघालय के अलावा नगालैंड और त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है.
नॉर्थ-ईस्ट में बेहतरीन परफॉर्मेंस कर ममता बनर्जी दिल्ली राह आसान करने में जुटी थी. बंगाल में हार के बाद फिर उन्हें अपने राज्य पर ही फोकस करना होगा.
बिहार की लोजपा और जदयू ने भी खाता खोला
नगालैंड के चुनाव में बिहार की जदयू और लोजपा ने भी खाता खोला है. चिराग पासवान की नेतृत्व वाली लोजपा (आर) को 2 सीटें और जदयू को एक सीटें मिली है.
सीपीएम सिर्फ त्रिपुरा में ही जीत दर्ज कर सकी है. यहां पार्टी 11 सीट जीतकर तीसरे नंबर पर पहुंच गई है. अब तक सीपीएम यहां प्रमुख विपक्षी पार्टी की भूमिका निभा रही थी.
त्रिपुरा में हार के बाद अब सीपीएम सिर्फ केरल तक सिमट कर रह जाएगी. कभी सीपीएम की 3 राज्यों में मजबूत उपस्थिति रहती थी. इनमें केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा का नाम शामिल है. केरल में अब भी सीपीएम की सरकार है.
त्रिपुरा में टीपरा मोथा का उदय हो गया है और पार्टी मुख्य विपक्ष की भूमिका में रह सकती है. पहली बार में ही टीपीएम को 13 सीटों पर जीत मिली है. आदिवासी बहुल सीटों पर टीपीएम ने बीजेपी और कांग्रेस गठबंधन दोनों को नुकसान पहुंचाया है.