Tripura Violence: त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ एक विरोध रैली महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हिंसक हो गई, जब लोगों के एक समूह ने कुछ दुकानों और पुलिस पर पथराव किया. त्रिपुरा में मुसलमानों पर कथित हिंसा की निंदा करने के लिए महाराष्ट्र में निकाली गई तीन विरोध रैलियां अमरावती शहर, नांदेड़ शहर और नासिक ग्रामीण के मालेगांव में हिंसक हो गईं, जहां प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पुलिस पर पथराव किया और कई दुकानों और वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े.
मालेगांव में 10 पुलिसकर्मियों समेत एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए. स्थानीय पुलिस ने कहा कि दो पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन उनकी हालत स्थिर है. पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में अब तक चार लोगों को हिरासत में लिया है. नांदेड़ में आठ पुलिसकर्मी- एक एएसपी, एक निरीक्षक और छह कांस्टेबल घायल हो गए. पथराव में कम से कम तीन वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि एक दोपहिया वाहन में आग लगा दी गई.
अब्दुल हमीद चौक पर एक खास समुदाय के हजारों लोग उतरे थे. एक ही समुदाय के दो गुटों में कहासुनी के बाद मारपीट हुई. कहा जा रहा है कि त्रिपुरा में पिछले दिनों हुई हिंसा के खिलाफ मालेगांव में प्रदर्शन हुआ था, इस दौरान लोग आपस में भिड़ गए. पुलिस के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर बड़ी संख्या में बंद समर्थक लौट रहे थे. जब वे कपड़ा नगर के नए बस स्टैंड क्षेत्र में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि कुछ दुकानें खुली हुई हैं और उन दुकानों पर पथराव शुरू कर दिया. अमरावती शहर में कोतवाली और गडगे नगर थाने के अधिकार क्षेत्र में चार स्थानों पर दोपहर 3 से शाम 5 बजे के बीच कथित तौर पर हिंसा हुई.
टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने बिप्लब देब की सरकार पर साधा निशाना
तृणमूल कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी कार पर पिछले महीने बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हमला किया था, ने त्रिपुरा पुलिस पर निशाना साधा है कि घटना के वीडियो फुटेज से संदिग्धों की पहचान करने में ज्यादा मदद नहीं मिली है. उन्होंने सीएम बिप्लब देब पर भी कटाक्ष किया और उनसे पुलिस के लिए बेहतर ट्वीट तैयार करने के लिए कहा.
त्रिपुरा पुलिस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "शिकायतकर्ता (सुष्मिता देव) की ओर से कथित घटना का एक छोटा वीडियो फुटेज और 04 संदिग्धों के नाम उनके पूरे विवरण के बिना प्रदान किए गए थे. वीडियो फुटेज से संदिग्धों की पहचान में ज्यादा मदद नहीं मिलती है."
उपरोक्त बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा, "अगले हमले में मैं लंबे वीडियो लेने की कोशिश करूंगा और अपने हमलावरों से उनका पता, फोन नंबर मांगूंगा, क्योंकि उन्होंने हमें पीटा और हमारी कारों को तोड़ दिया. मामून खान और सूर्य सरकार की घातक चोटें त्रिपुरा पुलिस के लिए गंभीर अपराध नहीं हैं."
बयान में त्रिपुरा पुलिस ने कहा, "चारों संदिग्धों के पास यह सुझाव देने के लिए मजबूत आधार हैं कि वे पीओ के पास मौजूद नहीं थे. प्रासंगिक समय पर." त्रिपुरा पुलिस ने कहा, "ऐसा लगता है कि शिकायतकर्ता की ओर से मामले में लोगों को फंसाने, जांच ड्यूटी पर दबाव बनाने की कोशिश की गई है, जो वांछनीय नहीं है."
त्रिपुरा सरकार ने 29 अक्टूबर को आरोप लगाया था कि निहित स्वार्थों वाले एक समूह ने 26 अक्टूबर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक जलती हुई मस्जिद की नकली तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा में अशांति पैदा करने और उसकी छवि खराब करने के लिए प्रशासन के खिलाफ साजिश रची थी. गौरतलब है कि इस साल बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की हालिया रिपोर्टों के बाद त्रिपुरा में आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुई हैं.
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