कोई Troll हो रहा है, तो कोई Troll कर रहा है, आख़िर क्या होता है Troll, जानिए
सोशल मीडिया के ट्रोल के बारे में तो आप जानते होंगे लेकिन क्या आपको ट्रोल शब्द के अलग-अलग मतलब पता हैं. नहीं, तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
नई दिल्ली: ट्रोल शब्द आप अक्सर सुनते होंगे और आपके दिमाग में यह सवाल आता होगा कि आखिर यह ट्रोल है क्या. किन्हें ट्रोलर्स कहते हैं और क्या इसका संबंध सिर्फ इंटरनेट पर किसी को टारगेट करके उसे बुरा साबित कर देना भर है. आज हम आपको ट्रोल के बारे में सबकुछ बताने जा रहे हैं जो आपने कभी नहीं सुना होगा. इस शब्द के कई मतलब होते हैं. आइए जानते हैं ट्रोल किसे कहते हैं.
ट्रोल शब्द के तीन मतलब होते हैं
"ट्रोल" शब्द की उत्पत्ति को लेकर साफ तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन एक लेखक जॉन लिंडो ने चित्रित किया है और ट्रॉल को स्वीडिश लोककथाओं में प्राकृतिक प्राणियों के रूप में वर्णित किया है.
ट्रोल शब्द के मतलब तलाशने पर आपको तीन तरह के ट्रोल की जानकारी मिलती है. पहले का संबंध मछली पकड़ने की प्रक्रिया से है. ट्रोल को एक धीमी गति से चलने वाली नाव से मछली पकड़ने के कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसे ट्रोलिंग कहते हैं.
वहीं इसका दूसरा मतलब पौराणिक कथाओं से है जहां ट्रोल एक अलौकिक प्राणी को कहते हैं जो गुफाओं में रहता है. वहीं तीसरे तरह की ट्रोल की बात करें तो वह एक इंटरनेट ट्रोल होता है, जो किसी कारण किसी व्यक्ति विशेष को इंटरनेट पर टारगेट करता है और बदनाम करता है.
ट्रोल एक अलौकिक प्राणी को कहा जाता है
ट्रॉल को स्कैंडिनेवियाई लोककथाओं और नॉर्स पौराणिक कथाओं में अलौकिक प्राणी माना जाता है उन्हें खतरनाक, चालाक, और लोगों को जादुई रूप से शाप देने के रूप में दिखाया गया है. पुराने नॉर्स लोगों द्वारा बताया गया है कि ट्रोल के रूप में वर्णित व्यक्ति चट्टानों, पहाड़ों, या गुफाओं में रहते थे. उनका परिवार हुआ करता था. स्केंडिनेविया प्रायद्वीप जिसमें उत्तरी यूरोप के नॉर्वे, स्वीडन और डेनमार्क जैसे देश आते वहां की लोककथाओं में ट्रोल के बारे में बताया गया है कि वह मानव निवास से बहुत दूर रहते हैं और इन्हें मनुष्य के लिए खतरनाक माना जाता है. ये अक्सर लोगों को परेशान करते थे.
इंटरनेट ट्रोल
आज हम सोशल मीडिया के युग में जी रहे है. इंटरनेट और सोशल मीडिया आज भारत के कई क्षेत्रों में अपने पैर पसार चुके हैं. यूं तो सोशल मीडिया हमारे लिए कई मायनों में सहायक साबित हुआ है, पर हम यह भी नकार नहीं सकते कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर ऑनलाइन क्राइम भी बढ़े हैं. इंटरनेट पर साइबर क्राइम के अलावा एक और समस्या है, जो अब विकराल रुप धारण करती जा रही है. हंसी मज़ाक और टांग खींचने से शुरु हुआ ट्रोलिंग, अब इंटरनेट के बदलते स्वरूप के चलते चरित्र हनन जैसी गंभीर समस्या बनता जा रहा है.
इंटरनेट की दुनिया में ट्रोल वो भी होते हैं, जो किसी भी मुद्दे पर चल रही चर्चा में कूदते हैं और आक्रामक बातों से विषय को भटका देते हैं. इसके अलावा ये लोग इंटरनेट पर दूसरों पर छींटाकशी, गालियों के अलावा बेवजह ऐसे मामले में घसीटते हैं, जिससे उन्हें मानसिक परेशानी होती है.
इंटरनेट ट्रोलिंग में किसी व्यक्ति का मकसद, सोशल मीडिया के किसी प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए (मसलन Whatsapp, स्नैपचैट, ब्लॉग, फ़ेसबुक, ट्विटर) लोगों को उकसाना, भड़काना, और विषय सम्बंधित सामान्य चर्चा में गड़बड़ी फ़ैलाना होता है.
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