छोटे व्यापारियों के लिए आई मुश्किल की घड़ी, मोराटोरियम खत्म होने पर कर्ज चुकाने का आया समय
कोरोना काल में बैंको के दिए गए मोराटोरियम का समय खत्म होने से उधारकर्ता बेहद परेशान दिख रहें है. साथ ही उन्होंने कहा कि बैंक ब्याज पर ब्याज मांग रहें है जो हमारे लिए देना संभव नहीं है.
मुंबई: कोरोना महामारी के चलते छोटे व्यापारी लगातार संघर्ष कर रहे थे कि अब मोराटोरियम के खत्म होने पर कर्ज चुकाने की बारी से परेशान दिख रहें है. आपको बता दें, आरबीआई ने उधार्कताओं को 31 अगस्त तक का कर्ज चुकाने के लिए मोराटोरियम की सुविधा दी थी. जो अब खत्म हो चुकी है.
बताया जा रहा है कि देश के 1.8 ट्रिलियन डॉलर के लोन का एक तिहाई हिस्सा इन उधारकर्ताओं के पास है. कोरोना के चलते व्यापारियों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था. जैसे तैसे अब थोड़ा उनका काम पटरी पर लौट रहा था कि एक बार फिर उनके काम पर ताला लगने की नौबात आ खड़ी हुई.
जयपुर में एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक का कहना है कि मोराटोरियम से उन्हें कुछ राहत जरूर मिली थी. लेकिन अब उसके समाप्त होने पर परेशानियां एक बार फिर आ खड़ी हुई है. वो परेशान है कि लोन को किस तरह चुकाया जाए, साथ ही कर्मचारियों की सैलरी को लेकर भी तनाव बना हुआ है.
बताया जा रहा है कि केंद्रीय बैंक ने बैंकों से मोराटोरियम का विस्तार करने की अनुमति देकर उधारकर्ताओं को राहत प्रदान की है. दरअसल, बैंक दो साल के लिए एक्सटेंशन दे सकता है. उधारकर्ताओं के पास दिसंबर तक का वक्त है कि वो बताये उन्हें कौन से लोन की रीस्ट्रक्चरिंग करनी है.
वहीं मोदी सरकार ने 31 अगस्त तक कर्ज पर किसी भी तरीक के ब्याज को माफ करने को लेकर एक पैनल स्थापित किया है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की माने तो सरकार की ओर से वित्तीय मदद में कमी के कारण 1.75 करोड़ दुकानें बंद होने की कगार पर जा पहुंची है.
आपको बता दें, पिछली तिमाही में अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट दर्ज हुई थी. 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी. कोरोना को देखते हुए लगे लॉकडाउन के चलते मांग और खपत में बेहद गिरावट आई है. वहीं बैंक इस वक्त मोराटोरियम को बढ़ाने में इच्छा जाहिर नहीं कर रहा इसका बड़ा कारण खुद झेल रहे बड़े नुकसान का है.
आपको बता दें, मोराटोरियम पर कोर्ट में लड़ाई जारी है. लोगों का कहना है कि बैंक ब्याज पर ब्याज मांग रहीं है, जो हमारे लिए संभव नहीं है. वहीं आरबीआई भी बैंक के पक्ष में है.
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