TRS MLA Poaching Case: तेलंगाना में TRS विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में बीजेपी के महासचिव बीएल संतोष को राहत मिली है. तेलंगाना हाईकोर्ट ने SIT की ओर से बीएल संतोष को भेजे गए नोटिस पर 5 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी है. 


एसआईटी ने TRS विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में आरोपी मानते हुए बीजेपी नेता बीएल संतोष को 23 नवंबर को दूसरी बार समन से जुड़ा नोटिस भेजा था. एसआईटी की ओर से ये नोटिस CrPC की धारा 41 (A) के तहत भेजी गई थी. हाईकोर्ट ने बीएल संतोष की याचिका पर सुनवाई करते हुए आज इसी नोटिस पर 5 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है कि वो CrPC की धारा 41 (A) के तहत भेजे गए नोटिस से संतुष्ट नहीं है. 


 दूसरी बार नोटिस भेजने पर हाईकोर्ट पहुंचे थे बीएल संतोष


इससे पहले 16 नवंबर को भी एसआईटी ने नोटिस भेजकर बीएल संतोष को 21 नंवबर को हैदराबाद स्थित कार्यालय में सुबह 10.30 बजे पेश होने को कहा था. इस पर बीएल संतोष ने 21 नवंबर को कहा था कि उन्हें एसआईटी का पहला नोटिस नहीं मिला. इसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की अदालत ने एसआईटी से उन्हें ईमेल या WhatsApp के जरिए नोटिस भेजने को कहा था. इसके बाद एसआईटी ने दोबारा नोटिस भेजकर बीएल संतोष को 26 या 28 नवंबर को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था. एसआईटी की ओर से दूसरी बार नोटिस भेजे जाने के बाद बीएल संतोष ने हाईकोर्ट का रुख किया था.    


पूछताछ से बच रहे हैं बीएल संतोष- तेलंगाना सरकार


बुधवार को तेलंगाना सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा था कि बीजेपी नेता बीएल संतोष जानबूझकर एसआईटी के नोटिस से बच रहे हैं. इससे पहले एसआईटी ने शुरुआती जांच के आधार पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की अदालत में एक मेमो दाखिल किया था. इसमें बीएल संतोष के साथ-साथ केरल के जग्गू स्वामी, तुषार वेल्लापल्ली और बी श्रीनिवास को आरोपी बनाया गया था.


विधायकों को 100 करोड़ रुपये का ऑफर देने का आरोप


TRS विधायक पायलट रोहित रेड्डी ने 26 अक्टूबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें अगले चुनाव में टीआरएस छोड़कर बीजेपी से चुनाव लड़ने के लिए 100 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था. टीआरएस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी उनकी पार्टी में तोड़फोड़ करने के लिए विधायकों को पैसे का लालच दे रही है. विधायकों के कथित खरीद फरोख्त के मामले में संदेह होने पर अक्टूबर में साइबराबाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था.


पुलिस ने अदालत में कहा था कि इन आरोपियों ने राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की और विधायकों को लालच दिया. पुलिस के दलीलों से असंतुष्ट होकर तेलंगाना के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की अदालत ने तीनों को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग को खारिज करते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया था. इसके बाद आरोपी रामचंद्र भारती, नंद कुमार और सिंहयाजी स्वामी को पुलिस ने रिहा कर दिया था. पूरे मामले की जांच के लिए तेलंगाना सरकार ने 9 नवंबर को 7 सदस्यीय एसआईटी के गठन का आदेश दिया था.


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