Hit and Run New Law: राष्ट्रपति की ओर से भारतीय न्याय संहिता 2023 के नए कानून पर मुहर लगाई जा चुकी है. इस कानून को अभी केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित नहीं किया गया है. इससे संबंधित अधिसूचना जारी होने के बाद ही 'हिट एंड रन' से जुड़े नए कानूनी प्रावधान लागू होंगे, लेकिन इसके लागू होने से पहले देशभर में इसके सख्त प्रावधानों को लेकर ट्रक ड्राइवर्स आंदोलनरत हैं. कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जता रहे हैं और नए कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं. इस कानून से जुड़े तमाम पहलुओं पर एबीपी न्यूज़ ने पटना हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीएन सिन्हा से खास बातचीत की.
रिटायर्ड जस्टिस सिन्हा ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023 कानून को संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति भी अपनी मंजूरी दे चुकी हैं. इसके बाद कानून अधिसूचित तो हो गया है, लेकिन यह कब से नोटिफाई होगा. इसको लेकर अभी केंद्र सरकार की ओर से फिर से एक अधिसूचना जारी करनी होगी. तभी पता चलेगा कि यह कानून कब से लागू माना जाएगा. नए कानून के लागू होने तक पुराने कानून के तहत ही आईपीसी की धारा 304 ए के तहत ही 2 साल की सजा के प्रावधान लागू रहेंगे.
'दुर्घटना के बाद ड्राइवर को पकड़ पाना होता था मुश्किल'
हिट एंड रन के लिए नए कानून को लाने के सवाल पर पूर्व जस्टिस सिन्हा ने बताया कि इसको लाने की जरूरत इसलिए पड़ी कि दुर्घटना के बाद ड्राइवर अपनी जान बचाने के मकसद से अक्सर भाग जाता था. इससे उसकी पहचान कर पाना मुश्किल होता था और पीड़ित को न्याय या मदद नहीं मिल पाती थी. दुर्घटना के बाद ड्राइवर के मौके से फरार होने पर उसको पकड़ पाना मुश्किल हो जाता था.
मदद का प्रयास करने पर होगी कितनी सजा?
पूर्व जस्टिस सिन्हा ने यह भी कहा कि दुर्घटना के बाद पीड़ित की अगर मौत हो जाती थी तो पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता था. इसलिए अगर आप भागते हैं तो अब 10 साल की सजा होगी. दुर्घटना के बाद अगर आप पीड़ित की मदद के लिए प्रयास करते हैं, अस्पताल ले जाते हैं और फिर भी उसकी मृत्यु हो जाए तो आपको 2 से 3 साल तक की सजा मिल सकती है. भागने पर 10 साल की सजा का प्रावधान लागू होगा.
दुर्घटना में 'मॉब लिंचिंग' पर क्या है प्रावधान?
उन्होंने 'मॉब लिंचिंग' के मामले पर कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस अपराध के लिए 10 साल का प्रावधान भी किया गया है. ड्राइवर को हमेशा यही डर रहता है कि भीड़ उसको मार देगी. इसलिए 'मॉब लिंचिंग' करने पर भी इस कानून में 10 साल की न्यूनतम सजा और फांसी की सजा के प्रावधान किए गए हैं. इससे 'मॉब लिंचिंग' को भी कनेक्ट किया जाएगा. इससे 'मॉब लिंचिंग' भी रूकेगी. इस कानून में दोनों ही मामलों को जोड़ा जा सकेगा.
'कानून में संशोधन करना या नहीं करना, केंद्र का फैसला'
पूर्व जस्टिस वीएन सिन्हा ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 तो बन चुका है और राष्ट्रपति की संस्तुति भी मिल चुकी है. अब केंद्र सरकार को यह सब देखना होगा कि इसमें संशोधन करना है या फिर इसको पहले लागू करके इसके परिणामों को देखना है. इस पर सरकार को विचार विमर्श कर फैसला लेना होगा.