नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव का आकलन करने के लिए गुरुवार को वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी का पूरा जोर अर्थव्यवस्था को तेजी से दोबारा पटरी पर लना है जो उपभोक्ता मांग गिरने के कारण पिछली तिमाही में मंदी की स्थिति मे रही.


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डेढ़ घंटे तक चलने वाली इस निर्धारित बैठक के दौरान, वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के अधिकारी अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात पर अपनी प्रजेंटेशन देंगे.


सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री शीर्ष 50 अधिकारियों से इनपुट ले रहे हैं. इससे पहले, उन्होंने आर्थिक सलाहकार परिषद, वित्त मंत्रालय और नीती आयोग में मुख्य और मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ तीन अलग-अलग बैठकें की थीं.


फिक्की का अनुमान चालू वित्त वर्ष में जीडीपी नकारात्मक रहेगी
बता दें इससे पहले उद्योग मंडल फिक्की ने अपने अनुमान में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रहेगी. फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में 4.5 प्रतिशत नीचे जाएगी. सर्वे में कहा गया है कि कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि से दुनियाभर में आर्थिक और स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है।


सर्वे में कहा गया है कि कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि से दुनियाभर में आर्थिक और स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है। फिक्की के ताजा सर्वे में वृद्धि दर के अनुमान में नीचे की ओर बड़ा संशोधन किया गया है. फिक्की ने जनवरी, 2020 के सर्वे में 2020-21 में वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। कोरोना वायरस पर काबू के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई है. हालांकि, अब पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है.


सर्वे में कहा गया है कि 2020-21 में जीडीपी की औसत वृद्धि दर -4.5 प्रतिशत रहेगी. इसके न्यूनतम -6.4 प्रतिशत या बेहतर स्थिति में 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर औसतन शून्य से 14.2 प्रतिशत नीचे रहेगी. यह न्यूनतम -25 प्रतिशत तक नीचे जा सकता है. बेहतर स्थिति में भी यह -7.4 प्रतिशत रहेगी.


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