WATCH: वाराणसी के गड़ौली धाम में लोगों ने जलाए 5 लाख दीप, दिखा अनोखा नजारा
Varanasi News: देव उठानी या देवोत्थान एकादशी के मौके पर यह दीप जलाए जाते हैं. यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. आज के दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है.
Tulsi Vivah 2022 In Varanasi: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अयोध्या के दीपोसत्सव के बाद काशी विश्वनाथ के धाम वाराणसी में शनिवार (5 नवंबर) की देर शाम को अनोखा नजारा देखने को मिला. वाराणसी (Varanasi) में देव उत्थान एकादशी और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) के मौके पर पर गड़ौली घाट को सजाया गया. यहां पांच लाख दीए जलाए गए. वाराणसी के घाट पर झिलमिलाते दीपों को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग वहां जुटे. इस दौरान दीयों की रोशनी से जगमग घाट पर पहुंचे लोगों ने जमकर सेल्फी लीं. जगमग दीपों से सजे घाट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
इस दिन पूजा करने से मिलता है विशेष फल
शनिवार (5 नवंबर) को तुलसी विवाह के अवसर पर गड़ौल घाट पर पांच लाख दीप जलाए गए. जानकारी के मुताबिक, देव उठानी या देवोत्थान एकादशी के मौके पर यह दीप जलाए जाते हैं. यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो घर के मंदिर में दीप जलाए जाते हैं. इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से कराए जाने की विशेष परंपरा है. मान्यता है कि आज के दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इसके साथ भक्त मां तुलसी और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तुलसी स्तोत्र और तुलसी चालीसा का पाठ जरूर करते हैं. ऐसा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि, आरोग्यता, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
#WATCH | Uttar Pradesh: People light around 5 lakh earthen lamps to mark 'Tulsi Vivah' in Gadauli Dham, Varanasi. pic.twitter.com/Tja7oZ8ZiA
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 5, 2022
पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता लक्ष्मी ने एक बार नारायण भगवान ने कहा कि प्रभु आप दिन-रात जागते हैं और जब सोते हैं तो करोड़ों वर्षों तक सोते रहते हैं. इसके कारण सृष्टि में हाहाकार मच जाता है. माता लक्ष्मी ने नारायण भगवान को सुझाव देते हुए कहा कि आप हर साल केवल कुछ महीने ही आराप किया कीजिए.
भगवान नारायण ने माता लक्ष्मी के इस सुझाव को मानते हुए कहा था कि अब से वह वर्षा ऋतु में सोया करेंगे. माना जाता है कि तभी से यह परंपरा शुरू हुई. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, वर्षा ऋतु के बीत जाने के बाद प्रभु नारायण को जगाने के लिए तुलसी की पूजा की जाती है. ऐसा इसलिए कि तुसली को हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है.
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