(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Tunnel Accident: 'बस आखिरी पाइप और फिर गुड न्यूज', टनल के बाहर सीएम मजदूरों की निकासी का कर रहे इंतजार, पढ़ें 10 बड़े अपडेट्स
Uttarakhand Tunnel accident: उत्तरकाशी टनल दुर्घटना में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में है. 80 cm की व्यास का पाइप मजदूरों के करीब तक पहुंच गया है.
Uttarkashi tunnel accident : उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद पिछले 12 दिनों से उसमें 41 मजदूर फंसे हुए हैं. अब इन श्रमिकों को बचाने का अभियान अपने अंतिम चरण में है. बुधवार को मजदूरों से केवल 10 मीटर दूरी तक मलबे में छेद करने का काम बाकी रह गया था. हालांकि गुरुवार को कुछ देर काम के बाद ड्रिलिंग का काम रोकना पड़ा. अभी जिस मशीन से ड्रिलिंग का काम हो रहा है, वह एक घंटे में तीन मीटर छेद करती है. इसलिए मजदूरों के जल्द बाहर निकलने की बड़ी खबर किसी भा वक्त आ सकती है.
मजदूरों को बाहर लाने में कितना वक्त लगेगा.
1. बचाव दल के अनुसार, मजदूरों को बाहर निकालने के लिए जिस पाइप को अंदर भेजा जा रहा था उसके आगे का हिस्सा लोहे की सरिया से टकराकर मुड़ गया था. लिहाजा अब उस आगे के हिस्से को गैस कटर से काटकर अलग किया जा रहा है. बाद में उस हिस्से को छोटे टुकड़ों में काट कर पाइप से वापस निकाला जाएगा. इसके चलते पाइप को अंदर भेजने की प्रक्रिया फिलहाल के लिए रुकी हुई है.
2. मजदूरों के करीब तक 80 सेंटीमीटर व्यास वाली मजबूत पाइप डाला गया है, जिसमें घुसकर मजदूर आसानी से रेंगते हुए वापस निकल सकेंगे. 12 दिनों से मजदूर अंदर फंसे हुए हैं, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि उनका एनर्जी लेवल कम हो गया होगा. अगर वे खुद बाहर आने में सफल नहीं होंगे तो बाहर से एनडीआरएफ के जवान अंदर जाकर उन्हें लाएंगे.
3. आशंका ये भी है कि 12 दिनों से सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के दिमाग पर मनोवैज्ञानिक असर भी हुआ होगा. उनको बाहर से जो भोजन दिया गया है, उसका क्या असर उनके शरीर पर हुआ है, इसका आंकलन पहले किया जाएगा. इसके लिए चिकित्सकों की टीम जांच करेगी.
4. एक बार जब बचाव पाइप श्रमिकों तक पहुंच जाएगा तो एनडीआरएफ का एक डॉक्टर अंदर जाएगा और उनकी स्थिति की जांच करेगा. वह मजदूरों को सिखाएंगे कि वेल्डिंग जोड़ों पर धारदार किनारों वाले पाइपों के जरिए कैसे निकलना है. बचाव दल ने कहा है कि बाहर निकलने वाले मजदूरों के लिए स्ट्रेचर की भी व्यवस्था की गई है.
5. अंदर फंसे मजदूर एनडीआरएफ की कड़ी निगरानी में पाइप के माध्यम से बाहर लाए जाएंगे. सुरंग के बाहर, श्रमिकों को चिन्यालीसौड़ में बने एक अस्थायी अस्पताल में ले जाने के लिए 41 एम्बुलेंस तैयार हैं. बचावकर्मियों ने कहा कि अस्पताल पहुंचने पर श्रमिकों की विस्तृत चिकित्सकीय जांच की जाएगी.
6. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद राहत और बचाव स्थल पर पहुंच गए हैं. उनके साथ केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग के मिनिस्टर ऑफ स्टेट जनरल वी के सिंह भी मौक पर होंगे. उत्तराखंड मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को बचाने की तैयारी अंतिम चरण में है और सीएम पुष्कर सिंह धामी खुद बुधवार (22 नवंबर) रात से ही उत्तरकाशी में मौजूद हैं.
7. सुरंग में कुल 10 पाइप डाले जाने थे, जिसमें अब तक नौ पाइप अंदर सुरंग में डाले जा चुके हैं. इसके पहले आगर मशीन में खराबी आ गई. इसे ठीक करने के लिए दिल्ली से एक्सपर्ट्स को बुलाया गया.
8. पिछले 12 दिनों में, हिमालयी क्षेत्र की जियोलॉजिकल स्थिति और मिट्टी की प्रकृति के कारण बचाव अभियान में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. इस कारण ऑपरेशन में बार-बार रुकावटें आई हैं. इन चुनौतियों के कारण ही बचाव दल अभी भी ऑपरेशन पूरा होने की सटीक समय-सीमा बताने से सावधानी बरत रहा है. उन्होंने कहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले कुछ घंटों में श्रमिकों को बाहर लाया जा सकता है.
9. सुरंग, केंद्र की महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना का हिस्सा है, जो उत्तरकाशी और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए प्रस्तावित सड़क पर उत्तराखंड में सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच स्थित है. 4.5 किमी लंबी सुरंग का काम ज्यादातर पूरा हो चुका है. 12 नवंबर को भूस्खलन के बाद मजदूर सुरंग में फंस गए थे. जिस इलाके में वे फंसे हैं वह करीब 8.5 मीटर ऊंचा और 2 किलोमीटर लंबा है. सौभाग्य से निर्माणाधीन सुरंग के उस हिस्से में बिजली और पानी की आपूर्ति है.
10. सुरंग में फंसे मजदूरों तक पाइप के जरिए ड्राई फ्रूट्स, ओआरएस और ऑक्सीजन की आपूर्ति लगातार की गई है, जिसकी वजह से सारे मजदूरों के स्वस्थ होने के दावे किए जा रहे हैं. दुर्घटना को लेकर PM नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात कर रेस्क्यू ऑपरेशन को अपडेट लिया था.
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