Tunnel Accident Rescue By Rat Mining: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के अभियान का आज (27 नवंबर) 16 वां दिन है. इन्हें निकालने के लिए पहुंचाई जाने वाली 80 सेंटीमीटर व्यास की आखिरी 10 मीटर की पाइप बिछाने का काम पिछले चार दिनों से नहीं हो पाया है, क्योंकि ड्रिल करने वाली ऑगर मशीन में टूट कर अंदर ही फंस गई थी. 48 मीटर तक ड्रिलिंग हो पाई है.
विकल्प के तौर पर सेना के जवान पहाड़ी के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग कर रहे हैं जो 30 मीटर तक हो चुकी है, लेकिन वहां भी पानी निकलने की वजह से काम बंद हो गया है. भारी भरकम मशीनों के फेल हो जाने के बाद अब मिशन जिंदगी के तहत 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स को बुलाया गया है.
चूहे की तरह हाथ से खुदाई में एक्सपर्ट है माइनर्स की टीम
यह नाम सुनते हैं आपके दिमाग में कौंध रहा होगा कि आखिर ये रैट माइनर्स कौन हैं. तो इनके नाम में जो रैट शब्द है उसी से समझा जा सकता है कि चूहे की तरह कम जगह में तेज खुदाई करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम है, जिनके भरोसे अब सुरंग के 41 मजदूरों की जिंदगी है. यही लोग 48 मीटर से आगे की खुदाई हाथ से करेंगे. इसके लिए इनके पास हथौड़ा, साबल और खुदाई करने वाले अन्य पारंपरिक टूल्स हैं. 6 रैट माइनर्स की एक टीम यहां पहुंच गई है जिनके पास दिल्ली और अहमदाबाद में इस तरह का काम का अनुभव है.
दो-दो माइनर्स केंगे खुदाई
उत्तरकाशी सुरंग में ये लोग किस तरह से खुदाई करेंगे इस बारे में खुद इन्होंने बताया है. रैट माइनर्स ने कहा कि पहले दो लोग पाइपलाइन में जाएंगे, एक आगे का रास्ता बनाएगा और दूसरा मलबे को ट्रॉली में भरेगा. बाहर खड़े चार लोग पाइप के अंदर से मलबे वाली ट्रॉली को रस्सी के सहारे बाहर खींचेंगे. एक बार में 6 से 7 किलो मलबा बाहर लाएंगे. अंदर खुदाई करने के लिए गए लोग जब थक जाएंगे तो बाहर से दो लोग अंदर जाएंगे और वे दोनों बाहर आ जाएंगे. इसी तरह बारी-बारी से बाकी के 10 मीटर की खुदाई का काम होगा. इन लोगों ने उम्मीद जताते हुए कहा है, " अंदर फंसे लोग भी श्रमिक हैं और हम भी श्रमिक हैं. उन्हें बचाएंगे तो कल अगर हम कहीं फंसे तो ये लोग बचाएंगे.
छोटी जगह में खुदाई का अनुभव
रैट माइनिंग को छोटी जगह में खुदाई के लिए बेस्ट माना जाता है. जहां मशीनों का काम करना संभव नहीं होता तो रैट माइनिंक मददगार होती है. अमूमन इस टेक्नीक का इस्तेमाल अवैध तरीके से कोयला खदान के लिए किया जाता है क्योंकि मशीनों और अन्य उपकरणों की मौजूदगी से लोगों और प्रशासन की नजर आसानी से पड़ सकती है. रैट माइनिंग में प्रशासन को भनक तक नहीं लगती है. इसके अलावा यह बहुत तेज प्रक्रिया है और इसकी सफलता की उम्मीद रहती है. इसलिए उत्तराखंड की सुरंग में भी यह टेक्निक उम्मीद का जरिया बन गया है.
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